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________________ HAKAMATAAAAAAAAAAAA सिद्ध सारस्वताचार्य श्री बप्पभट्टि सूरीश्वर विरचित श्री अनुभूत सिद्ध सारस्वत स्तव ॥ - श्री शारदा स्तोत्र कलमराल विहंगम वाहना, सितदुकूल विभूषण लेपना। प्रणतभूमिरूहामृतसारिणी, प्रवरदेह विभाभर धारिणी ॥ अमृतपर्णकमण्डलु हारिणी, त्रिदश दानव मानव सेविता। भगवती परमैव सरस्वती, मम पुनातु सदा नयनाम्बुजम॥ जिनपति प्रथिताऽखिल वांगमयी, गणधरानन मंडप नर्तकी। गुरूमुखाम्बुज खेलन हंसिका, विजयते जगति श्रुत देवता॥ अमृतदीधति बिम्ब समानना, त्रिजगति जन निर्मित माननाम्। नवरसामृतवीचि सरस्वती, प्रभुदितः प्रणमामि सरस्वतीम्॥ विततकेतक पत्र विलोचने, विहित संसृति दुष्कृत मोचने। धवल पक्ष विहंगम लांछिते, जय सरस्वति पूरित वांछिते॥ भवदनुग्रहलेश तरंगिता-स्तदुचितं प्रवदंति विपश्चितः। नृपसभासु यतः कमलाबला, कुचकलाललनानि वितन्वते॥ गतधना अपि हि त्वदनुग्रहात्, कलित कोमल वाक्य सुधोर्मयः। चकित बाल कुरंग विलोचना, जनमनासिहरंति तरां नरा॥ कर सरोरूह खेलन चंचला, तव विभाति परा जप मालिका। श्रुतपयोनिधि मध्य विकस्वरो, ज्ज्वलतरंग कलाग्रह-साग्रहा। द्विरद केसरिमारि भुजंगमा-सहनतस्कर राज रूंजा भयम्। ATMEANEATHEATHAKAALALASEASKEAKIATKLAIKALAIMEANIAKEAKLANKANHAIYEATIALATKAILAIMES RRC सासारास PANYAVNYANVARYA कार OXY XMMV VER Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002544
Book Title24 Tirthankar Saraswatidevi Pramukh Tirth Dev Devi Mahapoojan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages90
LanguageHindi, Gujarati, English
ClassificationBook_Devnagari & Worship
File Size7 MB
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