Book Title: 24 Tirthankar Saraswatidevi Pramukh Tirth Dev Devi Mahapoojan
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 32
________________ AWALAWWALAWWAAAA! ૧૭. શ્રી કુંથુનાથ તીર્થકર श्री कुन्थुनाथो भगवान् सनाथोडतिशयद्धिभिः । सुरासुरनृनाथाना, मेकनाथोडस्तु वः श्रिये ।। શ્રી કુન્યુનાથ ભગવાન્ સનાથોડતિશયોર્તિભિઃ | सुरासुरन्नथाना, भेनाथोऽस्तु वः श्रिये ।। more JAAAAAAAAAA ॐ णमो भगवदो अरहदो कुन्थुस्स सिज्झ धम्मे भगवदो विज्झर महाविज्झर कुन्थु कुन्थु कै कुन्थुशे स्वाहा॥ ૧૮. શ્રી અરનાથ તીર્થકર अरनाथस्तु भगवां, श्चतुर्थारनभोरविः । चतुर्थ पुरुषार्थश्री, विलासं वितनोतु वः ।। मरनाथस्तु Ani, श्यतुर्थाश्नमोरविः । यतुर्थ पुरुषार्थ श्री, विमासं वितनोतु वः ।। ॐ णमो भगवदो अरहदो अरहस्स सिज्झ धम्मे भगवदो विज्झर महाविज्झर अरणे अप जिग्रहति स्वाहा॥ A AAAA prettig Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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