Book Title: 24 Tirthankar Saraswatidevi Pramukh Tirth Dev Devi Mahapoojan Author(s): Publisher: ZZZ UnknownPage 33
________________ ॐ HAHAH HAHAHAHAHAHAHAHAHAHAHA! JHAHAHAHAJ ॐ HAHAHAHAHAHA ૧૯. શ્રી મલ્લિનાથ તીર્થંકર सुरासुरनराधीश, मयूरनववारिदम् । कर्मदून्मूलने हस्ति, मल्लं मल्लिमभिष्टुमः ।। સુરાસુરનરાધીશ, મયૂરનવવારિદમ્ । अभेदून्भूसने हस्ति, भदसं भक्तिभमिष्टुभः ।। ॐ नमो भगवदो अरहदो मलिस्स सिज्झ धम्मे भगवदो विज्झर महाविज्झर मल्लि मल्लि अरिपायस्स मल्लि स्वाहा ॥ JHAHAHAH ૨૦. શ્રી મુનિસુવ્રતસ્વામી તીર્થંકર जगन्महामोहनिद्रा, प्रत्यूषसमयोपमम् । मुनिसुव्रतनाथस्य, देशनावचनं स्तुमः ।। IMMI ॐ णमो भगवदो अरहदो अरहदो मुनिसुवयस्स सिज्झ धम्मे भगवदो विज्झर महाविज्झर सुब्बदेवद्रे स्वाहा ॥ Jain Education International જગન્મહામોહનિદ્રા, પ્રત્યૂષસમયોપમમ્ । मुनिसुव्रतनाथस्य, देशनावयनं स्तुभः ।। 30 For Private & Personal Use Only JEA LAKAH www.jainelibrary.orgPage Navigation
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