Book Title: 24 Tirthankar Saraswatidevi Pramukh Tirth Dev Devi Mahapoojan Author(s): Publisher: ZZZ UnknownPage 23
________________ WAWAWALAWWAWAWA! संन्निरोध मुद्राः ॐ आँ क्रौँ ही श्री चतु:वीशंति तीर्थंकराः पूजांतं यावत् अत्रैव स्थातव्यम् अवगुंठन मुद्राः ॐ आँ क्रौँ ही श्री चतुःवीशंति तीर्थंकराः परेषामदृश्यो भव भव स्वाहा॥ अमृतीकरणः ॐ आँ क्रौँ ही श्री चतु:वीशंति तीर्थंकराः साक्षात् संजीविता अमृतीभूता भवंतु स्वाहा। (सुरभि मुद्रा) संकल्प विधिः ॐ अस्मिन जंबूद्वीपे भरतक्षेत्रे दक्षिणार्धभरते मध्य खण्डे अमेरिका देशे न्यूयोर्क नगरे संवत २०६४ वर्षे ज्येष्ठ शुक्ल ११ तिथौ रवि वासरे मम शरीरे रोगादि निवारणार्थ, मनः कामना सिद्धयर्थ बोधिबीज प्राप्तयर्थं, लाभार्थ, क्षेमार्थ जयार्थ, विजयार्थ श्री चतुः विशंति तीर्थंकराः जाप, पूजा, आराधना करिष्ये स च अधिष्ठायक देव प्रसन्नार्थ सफली भवतु। JAWAWALAWWAAAAAAA Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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