Book Title: 24 Tirthankar Saraswatidevi Pramukh Tirth Dev Devi Mahapoojan Author(s): Publisher: ZZZ UnknownPage 21
________________ ADHA UTTITUTATUTATM XXSA SAK: 4Me REASEASEASEARLASTHASKLA MEAKEATEASEAXE ६ अं अः - अधो दिशा में दाहिने अंगूठे तथ तर्जनी अंगुली के अग्र भाग के बीच में केसर-कुंकुमयुक्त गुलाब के पुष्प को पकड़ कर मत्रोच्चारण के साथ संबंधित दिशा में उछालना। क्षेत्रपाल पूजनः " ॐ क्षाँ क्षौँ क्षौँ क्षः अत्रस्थक्षेत्रपालाय स्वाहा" रक्षा पोटली अभिमंत्रित करने का मंत्र "ॐ हूँ यूँ फुट किरिटि किरिटि घातय घातय, परकृतविध्नान् स्फेटय स्फेटय, सहस्त्रखण्डान कुरू-करू, परमुद्रा छिन्द छिन्द, परमंत्रान् भिन्द भिन्द हु क्षः फट् स्वाहा॥ AWALAEALAAAAALALALALALA रक्षापोटली बांधने का मंत्र - ॐ नमोऽर्हते रक्ष हु, फुट स्वाहा॥ पीठस्थापन- ॐ अहँ ऐं ह्रीं श्री चतुःविशंति तीर्थंकरा अत्र सहस्त्रपत्र कनक कमल पीठे तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्वाहा। (वासक्षेप पूजन) बिम्ब स्थापन - यंत्रस्थापन ॐ अहँ ऐं ही चतुःवीशंति तीर्थंकरेभ्यो नमः स्वाहा। (वासक्षेप Jain Education International . For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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