Book Title: 24 Tirthankar Saraswatidevi Pramukh Tirth Dev Devi Mahapoojan Author(s): Publisher: ZZZ UnknownPage 19
________________ WAKAKAKUUTAULUKUKAUJUKWAAL ॐ णमो सव्वसिद्धाणं, मुख मुख पटाबरम् (कल्पना करना कि मुख को मजबूत वस्त्र से आच्छादित कर रखा है) JALANA ॐ णमो आयरियाणं, अंगरक्षातिशायिनी (वक्ष पर बख्तर-कवच धारण करने की कल्पना करना) ॐ णमो उवज्झायाणं, आयुधं हस्तायोर्हढ (हाथ में शस्त्र लेकर दुष्ट शक्तियों को भगाने की कल्पना करना) ॐ णमो लाए सव्वसाहूणं, मोचके पादयोः शुभे (पैरो में मजबूत कवच धारण करने की कल्पना करना) ऐसो पंच णमोकारो, शिलावजमयी तले (वज्र की मजबूत शिला पर बैठने की कल्पना दोनों हाथ फैला कर करना) AAAAAAAAAAAAA सव्वपावपणासणो, वप्रो वज्रमयो बहिः (हाथ के पंजो से वज्रमय मजबूत किले की कल्पना करना) मंगलाणं च सव्वेसिं, खादिरांगार-खातिका (तर्जनी अंगुली को गोलाकार घुमाकर किले के चारों ओर माRANIKAL VSYON रान्स AVAIVAVITA सिलान्यास XVIXVIIIMa Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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