Book Title: 24 Tirthankar Saraswatidevi Pramukh Tirth Dev Devi Mahapoojan Author(s): Publisher: ZZZ UnknownPage 26
________________ MAKLAMLAJALAJLAMLAMALJILJALILAJUMALAJLAJAR ૫. શ્રી સુમતિનાથ તીર્થકર वसत्किरीटशाणाग्रो, त्तेजिताघ्रिनखावलिः | भगवान् सुमतिस्वामी, तनोत्वभिमतानि वः ।। ઘુસકિરીટશાણાગ્રો, તેજિતાંછિનખાવલિઃ | भगवान सुभतिस्वाभी, तनोत्वमिमतानि यः ।। ॐ णमो भगवदो अरहंतो सुमतिस्स सिज्झि-धम्मे भगवदो विज्झर सुमति सामिणंवानेंगे स्वाहा ॥ ૬. શ્રી પડાપ્રભસ્વામી તીર્થકર पद्मप्रभप्रभोदेह, भासः पुष्णन्तु वः श्रियम् । अन्तरग़ारिमथने, कोपाटोपादिवारुणा: ।। પદ્મપ્રભમભોÈહ, ભાસઃ પુણાનુ વઃ શ્રિયમ્ अन्तरास्मिथने, पाठोपाहिवा३॥ः ।। WwAWAWAAWWWWWWWWWWWAAAL ॐ णमो भगवदो अरहदो पोमे अरहतस्स सिज्झ भगवदो विज्झर महाविज्झर पोमे महापोमे महापोमेश्वरी स्वाहा॥ SAGAR Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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