Book Title: 24 Tirthankar Saraswatidevi Pramukh Tirth Dev Devi Mahapoojan Author(s): Publisher: ZZZ UnknownPage 24
________________ LANAKLADIKLAMLAJLAJMLAJLAJKLAMLAKLAK LAMA LAIKAMAKARGO ૧. શ્રી ઋષભદેવ તીર્થકર आदिमं पृथिवी नाथ, मादिमं निष्परिग्रहं । आदिमं तीर्थनाथं च, ऋषभस्वामिनं स्तुम : । આદિમં પૃથિવી નાથ, માદિમ નિષ્પરિગ્રહ | આદિમં તીર્થનાથં ચ, ત્રઋષભસ્વામિને સુમઃ | ॐ णमो जिणाणं च, णमो ओहि जिणाणं च, णमो परमोहि जिणाणं णमो सव्वेहि जिणाणं! ॐ णमो अणतोहि जिणाणं। ॐ वृषभस्स भगवदो, वृषभ स्वामी धत्त वियराणी अरिहंताणं विज्झाणं महाविज्ज्ञाणं अणमिप्पदेयिक्कम्मियाणि जम्भिर्कशविस के अनाहत विद्यायै स्वाहा। JAWAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAA ૨. શ્રી અજિતનાથ તીર્થકર अर्हन्तमजितं विश्व, कमलाकर भास्करम् । अम्लान - कैवलादर्श, संक्रान्तं जगतं स्तुवे ।। અહંન્તમજિત વિશ્વ, કમલાકર ભાસ્કરન્ ! અપ્લાન કેવલાદર્શ, સંક્રાન્ત જગત જુવે ॐ णमो भगवदो अजितस्स सिज्झ धम्मे भगवदो विज्झाणां। ॐ णमो परमोहि जिणाणं, ॐ णमो सव्वोहि जिणाणं भगवदो अरहंतो अजितस्स सिज्झधम्मे भगवदो विज्झर अजित अपराजिते पाणिपादे महाबले अनाहत विद्यायै स्वाहा ॥ S P RESENTENCERNA SAMAYA दी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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