Book Title: 24 Tirthankar Saraswatidevi Pramukh Tirth Dev Devi Mahapoojan Author(s): Publisher: ZZZ UnknownPage 14
________________ ARU AAT ΑΤΣΑΤΣΑΤΣΑΤΟΣ LEASEASEASTERNEA ॥ ॐ हीं श्रीं क्लीं ऐं नमः ।। पूजन पूर्व भूमि-शुद्धि-देह-शुद्धि-रक्षाकरण क्रिया (अ) भूमि शुद्धिकरण: सभी को आश्रय प्रदान करने वाली धरती माता के समान है। पंचतत्वों में पृथ्वीतत्व देव-तुल्य है। ऐसी भूमि पर बैठकर शांति-समृद्धि-ऋद्धि-वृद्धि हेतु मंगल क्रियाओं करनी है। इस भूमि में से कोई उपद्रव न हो इसके लिये भूमि की बहुमान पूर्वक शुद्धीकरण करने की क्रिया निम्न मंत्र से की जाती है : ॥ॐ भूरसि भूतधात्रि! सर्व भूतहिते! भूमि शुद्धिं कुरू-कुरू स्वाहा। यावदहं पूजां करिष्ये तावत् सर्व जनानां विध्नान् विनाशय स्थिरी भव स्वाहा॥ JALA LA LA LALAWA LAMAXAMA LAWAMAKAAWAHAKAAWAL (स्वर्ण-जल, सुगंधि-जल वासक्षेप युक्त, का पूजन भूमि पर छंटकाव करना) (आ) सकलीकरण: (शरीर के मुख्य अंगों को जागृत करने की क्रिया) मानव देह पंच तत्व का बना हुआ है- पृथ्वी, पानी, अग्नि, वायु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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