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अहिंसा शास्त्रों में कहा है कि शासन की प्रभावना करनी चाहिये । कितनी सुन्दर वे लोग शासन की प्रभावना कर रहे हैं ! अहिंसा को तब तक जीवन में स्थान नहीं मिल सकता जब तक हमारा व्यवहार शुद्ध नहीं । अतः प्रथमतः व्यवहार शुद्ध करो। लोग यहां पर सामायिक करने बैठ जाते हैं और दुकान में जा कर ग्राहक की जेब पर छुरी चलाने की बातें सोचते हैं । ग्राहक के कपड़े तक उतार देते हैं। वे लोग सोचते हैं कि यह गल्ती से हमारी दुकान पर आ क्यों गया है । इस के कपड़े तुरन्त उतार लो। कपड़ों में जेब तो आ जायेगी न साथ में ? आप लोगों की भावना ग्राहकों को फंसाने की और उन को पूरी तरह खाली करने की होती है। बन्धुओ ! क्या होगा ऐसी सामायिकों से । जीवन की शुद्धि बहुत आवश्यक है।
अपने मन में अहिंसा की भावना होनी चाहिए । हमें किसी को काया के द्वारा दुःख नहीं देना है। अरे! मन के द्वारा दुःख की बात सोचनी भी नहीं है। वचन के द्वारा किसी को बुरा नहीं कहना है । यदि ऐसा भाव होगा तो अहिंसा को जीवन में स्थान मिलेगा। यदि अहिंसा आप के जीवन में आ जाये तो आप का जीवन जो बिगड़ा हुआ है वह सुधर जाए एवं मोक्ष की प्राप्ति भी हो जाये।
वर्तमान में मांसाहार का प्रचार बहुत हो रहा है । देवनार के कत्लखाने से मटन (मांस) आता है और वहां से मक्खन के डिब्बों में बंद होकर आप के घर में अब पहुंच जाता है। आप समझते हैं कि मक्खन खा रहे हैं परन्तु वह वस्तुतः मांस होता है । ____देखिए कैसा-कैसा तजुर्बा हो रहा है ! आजकल अनाज
की कमी होती जा रही है कारण कि सरकार का भी यही मन हो गया है कि लोग मांस खाएं तो अच्छा है क्योंकि मास की कमी नहीं हैं और होने वाली भी नहीं है । मांसाहार का बहुत प्रचार
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