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योग शास्त्र
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मां के पास में आने की देर थी कि युवक ने उस की नाक को दांतों से काट खाया । मां सचमुच इसी प्यार के योग्य थी । लोगों ने आश्चर्य चकित होकर पूछा कि " तूने यह कार्य क्यों किया" तो उस ने उत्तर दिया, कि "मैं चोरी करके जब कोई वस्तु लाता तो मां मुझे और चोरी करने के लिए प्रोत्साहन देती ।" उस ने मा से कहा, "मां, मैं तेरी कृपा से शीघ्र ही यमराज के घर पहुंच रहा हूं। मैं यही कामना करता हूं कि तू भी शीघ्र ही मुझ से मिलने के लिए भगवान् के घर पहुंच जाए ।" मुझे मिल रही मृत्यु मां के ही कार्यों का प्रतिफल है । 'चोर को मत मारो, चोर की मां को मारो ।' इस लोकोक्ति के पीछे यही तो रहस्य है ।
लिखने की आवश्यकता नहीं कि बालक किसी वस्तु को खाने या पाने के लिए सहज रूप में या अन्य बालकों को देख कर घर से भी चोरी कर लेता है । इसी अवस्था में उस के जीवन को मनोवैज्ञानिक रीति से समझने या सुधारने की आवश्यकता है । उस के जीवन को इतनी सुन्दर रीति से निर्मित करें कि वह आप को जीवन भर याद करे ।
इस्लामिक देशों में चोरी करने वालों के हाथ काट दिये जाते हैं । कानून के सख्त होने से अपराधों के अवरोध में सहायता मिलती है। कानून तो सख्त होना ही चाहिए, फिर भले हाथ काटने की सीमा तक सख्त भी क्यों न हो ? चोरों, डाकुओं तथा जेबकतरों को ऐसा दंड देना चाहिए जिस से वे स्वयं ही इन अपराधों से मुक्त हो जाएं। दस्युसुन्दरी फूलन देवी तथा डाकू मान सिंह आदि बड़े-बड़े डकैत किसी मजबूरी से ही डाकू बने हैं । इन का समूल नाश करने के तरीके अपनाने के बदले जे ० पी० का फार्मला अपना लिया जाए तो काम सरल हो सकता है । जब जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में अनेक दस्युओं को चोरी से मुक्ति दिला कर नैतिक जीवन के लिए तैयार किया गया ।
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