Book Title: Yogshastra
Author(s): Yashobhadravijay
Publisher: Vijayvallabh Mission

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Page 324
________________ शुद्धिपत्रक प्रुफ रीडर द्वारा कुछ अशुद्धियां रह गई हैं। निम्नोक्त अशुद्धियों पढें सुधारक पृष्ठ लाईन १४ पृष्प - पुष्प २।२० जी-डी ३।५ मुझे- मुझ ३।१६ समाक्ति - सभक्ति ४।१० ५०१-२५०१ ५/१० २९५३२ - ३००३२ ८।१९ तथा तथा तथा० ९।१ आप - आज ९।१८ प्रस्तुत - प्रस्तुत १०।२६ सुनने-सुनाने ११।१ म में ११।२३ मृद्रित - मुद्रित १२।२ शस्त्र - शास्त्र १२ ११ का की १३।११ मल-मूल १३।१९ के लेखक - के लेखन १४।१ युवा-युव १४१८ का की १५1१० ८५०० - ४५०० पृष्ठ १-२९६ ५।३ उन- उस ८५ चंद- चंद्र ९।२० मी-भी ११।१ इंद्रियाणां - इंद्रियाणां १९२५ वीरं वीर १२।७ प्रायश्चित - प्रायश्चित्त १५।२२ भद्रे - भद्रं Jain Education International १६।१२ चल्हा - चूल्हा १६।१८ वृद्धि - वृद्धि १६।२२ भ्रष्ठ-भ्रष्ट १७।२३ से- को २१०१८ वे- तब २१।२२ विपु० - वि० २१२२ महर्धपः - महर्षयः २२ ९ चिकित्सा - चिकित्सा २२।१६ योग - योग २२।१७ सर्वोषधि - सर्वोषधि २३ १ प्राकाम्प - प्राकाम्य २३।१ स्थूल-स्थल २३।२० १४- में १४ २३।२७ घृत्रास्रव - घृता० २७।७ दिग्मूढ़ - दिङ्मूढ २६।१२ म में २८/११ को-की ३०।२८ निर्मोहता -निर्मोहित ३१।९ योग - योग ३१।११ ब्रह्म- ब्रह्म ३२।२ वीमत्स - बीभत्स ३५।४ म में ३६ | 1६ धम-धर्म ३६।८ म में ३८।२८ शुध्यति - शुद्ध्यति ४०।२ म में ४ ||९ जयंमासे - जयमासे ४]ll ६-३1⁄2 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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