Book Title: Vinit Kosh
Author(s): Gopaldas Jivabhai Patel
Publisher: Gujarat Vidyapith Ahmedabad
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अभिषक्त अभिषक्त वि० (भूतना) वळगाडवाळं (२) पराजित; अपमानित (३) निंदित; शापित अभिषवण न० स्नान अभिषु ५ प० जळसिंचन करवं; छंटकाव करवो; भींजववं अभिषेचन न० जळसिंचन (२) राज्याभिषेक (३) राज्याभिषेकनी सामग्री अभिष्टुत वि० स्तवन के स्तुति करेलु अभिसर पुं० अनुयायी; हरियो (२) साथी; सोबती अभिसरि (-री) स्त्री० अनुसर, ते
(२) मददे चडवं ते अभिसंबंध पुं० संबंध ; संपर्क अभिसायम्, अभिसायार्कम् अ० सूर्यास्त समये ; सांज टाणे अभिसारण न० प्रियतमने संकेत प्रमाणे मळवा जq ते [हुमलो करतुं अभिसारिन् वि० मळवा जतुं; धसी जतुं; अभिसांत्व् १० प० आश्वासन आपq अभिस्नेह पं० आसक्ति; स्नेह । अभिनवंत वि० रेलावतुं ; बक्षतुं अभिहार पुं० उपाडी जq ते;लूटी जq ते; चोरी जq ते (२) हुसलो(३)शस्त्रसज्ज थवं ते (४) नजोक लावq ते अभीप्सिन् वि० अभीप्सा-इच्छा राखतुं अभूयःसंनिवृत्ति स्त्री० फरीथी संसारमा पाछा न आवq ते; मोक्ष अभूत वि० भाडे के रोजीए नहीं राखलं
(२) नहि पोषेलु अभ्यक्त वि० लेप करेल; खरडेलं अभ्यनुज्ञात वि० संमति आपेलं; मंजूर
राखेलु (२) कृपा करेलु अभ्यमित्रम् अ० दुश्मन सामे के तरफ अभ्यमित्रीण, अभ्यभित्र्य पुं० दुश्मननो वीरतापूर्वक सामनो करनारो। अभ्यता स्त्री० सांनिध्य ; समीपता अभ्यर्थनीय, अभ्यर्थ्य वि० विनंती के
अमातृक आजीजी करवा लायक; जेने विनंती करवी पडे तेवू अभ्यवहारमंडप पुं० भोजनखंड अभ्यवहित वि० दबायेलं; बेसाडी
दीधेलु (धूळ इ०) अभ्यसूयति प० (द्वेष करवो; ईर्ष्या करवी)
[वारंवार अभ्यस्तम् अ० आथमवा तरफ (२) अभ्यंतरीकरण न० प्रवेश के परिचय कराववो ते (२)गुप्त वात कहेवी ते (३) निकट- मित्र बनावq ते (४) अंदर (पेटमां) नाखवू ते अभ्याकर्ष पुं० पडकार करवा छाती ठोकवी ते [आच्छादन विना अभ्याकाशम् अ० खुल्लुं होय तेम; अभ्यागमन न० आगमन; मुलाकात अभ्यासयोग पुं० चित्तने एक स्वरूपमां परोव ते
[होय तेवू अभ्युपस्थित वि० मददमां के सोवतमां अभ्युपाश्रय पुं० शरण; आशरो अभ्रघन पुं० वादळांनो समूह अभ्रविलायम् अ० जेम वादळां वेराई जाय तेवी रीते
समूह अभ्रवृंद न० वादळांनी हारमाळा के अभ्रावकाश वि० वरसाद वखते पण
खुल्लामा रहेनाएं [राक्षस इ० अमनुष्य पुं० माणस नहि ते-पिशाच, अमरकंटक पुं० जुओ पृ० ५९७ अमर्त्य वि० दिव्य ; अमर (२)पुं० देव अमलपतत्रिन् पुं० हंस; जंगली हंस अमलयति प० (निर्मळ-शुद्ध करवू;
उज्ज्वळ करवु) अमलिन वि० निर्मळ ; पवित्र अमंत्रतंत्र वि० मंत्रतंत्रना प्रयोग विनानुं अमंद वि० जड नहि तेवू; चपळ; चालाक
(२) अति; पुष्कळ ; उग्र अमात् वि० अपरिमित; अमर्यादित अमात, अमातक वि० मा विनानुं
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