Book Title: Vinit Kosh
Author(s): Gopaldas Jivabhai Patel
Publisher: Gujarat Vidyapith Ahmedabad
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गल्वर्क
६८२
गृहपोषण गल्वर्क पुं० बिलोरी काच (२) मणि गुडक पुं० गोळो; गोळ आकार- जे
(३) दारू पीवानुं पात्र [शिंगडु कांई होय ते गवल न० जंगली पाडो (२) पाडानुं गुडजिहिकान्यायः जुओ पृ० ६३२ गवानत न० गायना जठा सोगन खावा ते गडशंगिका स्त्री० गोळा फेकवानं यंत्र गवामय पुं० एक यज्ञ (एक वर्ष सुधी गुणज्ञ वि० गुणनी कदर करनारुं
चालतो) [(ते आपवानुं एक व्रत) गुणभोक्त वि० पदार्थोना गुणोने गवाह्निक न० गायनुं एक दिवसनुं खाण जाणनार के भोगवनाएं गवेधुका स्त्री० एक जातवें घास गुणवत् वि० गुणवान; गुणी; उत्तम गंगा स्त्री० जुओ पृ० ६०५
गुणाढय पुं० जुओ पृ० ६०५ गंडफलक न. पहोळो गाल
गुणानुराग पुं० बीजाना गुणो तरफ गंडस्थली स्त्री० गाल
प्रेम के तेमनी कदर गंडष न० एक जातनो दारू
गुण्य वि० गुणोवाळं (२) गणवा के गंभीरवेदिन वि० मदमत्त (हाथी); गुणाकार करवा योग्य अंकुशने न गणकारतुं
गुरुतल्प पुं० आचार्यनी पथारी (पत्नी) गंभीरा स्त्री० ते नामनी एक नदी (२)आचार्यनी पत्नी साथे व्यभिचार गाढालिंगन न० गाढ आलिंगन गुरुतल्पग, गुरुतल्पिन् पुं० आचार्यनी गाढांगद वि० चपसीने वेसतुं कडु के पत्नी साथे व्यभिचार करनारो कंकण पहेयु होय तेवू
गुरुत्व न० जुओ 'गुरुता' (पृ० १५८) गाढोग वि० अत्यंत उद्विग्न के पीडित गुरुश्रुति स्त्री. (गायत्री) मंत्र गात पुं० गवैयो
गुर्जर पुं० जुओ पृ० ६०५ ।। गात्रयष्टि स्त्री० पातळू- नाजुक शरीर गुलच्छ पुं० गुच्छ; झूमखं; झुंड मात्रावरण न० ढाल
गुल्फदन वि० चूंटी सुधी पहोंचतुं गाधि पुं० जुओ पृ० ६०५ ।
गुल्मिन् वि० जूथ के झुंडमां ऊगतुं गाधिपुर न० कनोज; जुओ पृ० ६०५ गह पुं० जुओ प०६०६ गप्तता गामुक वि० गति करतुं; जतुं गूढत्व न० (अर्थनी) गहनता (२) गाध वि० गीध पक्षीन
गूढम् अ० गुप्त रीते . गावासस् पुं० गीधनां पीछांवाळु बाण गृध् ४ प० (-प्रेरक०) लालसावाळू गांडीमय वि० गेंडा- बनावेलु (अर्जुन- के लोलुप करवू (२)आ० छेतरवू धनुष्य)
गृध्य वि० लुब्धपणे इच्छेलु गांधर्वशाला स्त्री० संगीतशाळा गृहकपोत पुं० घरमा पाळेलं कबूतर गांधर्वशिक्षा स्त्री० संगीत ।
गृहकर्मदास पुं० घरकाम्नो नोकर गांधार पुं० जुओ पृ० ६०५
गृहकर्मन् पुं० घरना व्यवहारनी बाबत गांधारी स्त्री० जुओ पृ० ६०५ (२)घरमां प्रवेश वखते करवानो विधि गिरिचर वि० पर्वतमा फरतुं-विचरतुं गृहजन पुं० कुटुंब; कुटुंब- माणस; गिरिजाधव, गिरिजापति पुं० शंकर (खास करीने) पत्नी गिरिधातु पुं० गेरु
गृहदेवता स्त्री० घरनी देवता (२) गिरिव्रजपुर न० जुओ पृ० ६०५ (ब० व०) घरना देवोनो एक वर्ग गिरिस्रवा स्त्री० पर्वतमांथी नीकळती गहदेहली स्त्री० घरनो उंबरो नदी के झरj
गृहपोषण न० घरनुं भरणपोषण
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