Book Title: Vinit Kosh
Author(s): Gopaldas Jivabhai Patel
Publisher: Gujarat Vidyapith Ahmedabad

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Page 709
________________ निष्प्रताप निध्यता वि० तेल के प्रभाव विनानु निहाइ पुं० अवाज; ध्वनि मोकाश मि० सदृश मूळ गोतिबीज न० राजकारण-खटपटनु गोर न० कदंः, वृक्षलु कूल नारकीरल्यायः जुओ पृ० ६३३ मीराषिः वि० प्रकाश मील पुं० जुओ पृ० ६१२ नसभा सत् अ० संभवतः नबनापितयः जुओ १० ६३३ । अधिष वि. जेनी आंखमां वाहक झेर छे तेवू (ब्राह्मण) नैमिषारण्य न० जुओ पृ० ६१२ मैक्षिक न० घरव जरीनुं कोई पण साधन के वासण परिचुंबन नैषध पुं० जुओ पृ० ६१२ नोदस्ति वि० प्रेरना; धकेलनाएं चोमोजायः जुओ पृ० ६३४ कु पुं० एक जातनुं हरण (२) ऋष्यशृंग मुनि न्यंग पुं० निशान (२) प्रकार (३) कलंक न्यंच १५० नीचे जवं; बळी जवू (२) व्यतीत थवं; घटवं न्यंच जि० नोचे वळेलु (२) नीच; हलकुं; क्षुद्र (३) आखं (४) ऊबडु संत पुं० पश्चिमनी दाजु (२) नजीकपणु न्यायनि पुं० शंकर (न्याययुक्त दानवाळा) जिनाएं पक्षहत वि० पक्षाघात थयेलं; एक बाहुए लकवो थयेलं पसार पं० पत्रवाडिये एक ज वार भोजन लेदारो साली स्त्री० समुह पघंटा स्त्री० तीव्र अवाजवाळो घंट पगस्त्री स्त्री० वेश्या घोडो पतत्रिन , पंजी (२) वाण (३) पतत्रिवर पुं० गरुड (पंखोओमां श्रेष्ठ) पतं.लि पुं० जुओ पृ० ६१२ पत्ररकेटु पुं० विष्णु (पत्ररथ-पंखी, तेजना राजा गरुड जेनी ध्वजामां छे) पथोरवेशम पं० भोमियो पदासिन्यायः जुओ पृ० ६३४ । पद्मावती स्त्री० जुओ पृ० ६१२ पयत्यति, पयायते (दूधनी जेम वहेवू प्राप्त थर्बु) पयोष्णी स्त्री० जुओ पृ० ६१२ । परकलत्राभिगमन न० परस्त्री साधे व्यभिचार परगुण पुं० बीजानो गुण । परथा अ० अन्यथा; बीजी रीते परदुःख न० पारकानुं दुःख पर पडनक्षक वि० पारक अन्न खाईने जीवनाएं (दास) (२) बीजानुं खाई जनाएं परपिंडरत वि० बीजानुं अन्न खाई परलोकरिधि पुं० अग्निसंस्कार परशुधाल पुं० जुओ पृ० ६१२ पराभाष पुं० पराभव पराशर पुं० जुओ पृ० ६१२ परिमित वि० सुशोभित ; शणगारेलु परिकालयित वि० बीटळातुं परिखेद पुं० थाक; परिश्रम परिग्राहक वि० कृपा दाखवतुं परिघ्रा १५० खूब जोरथी के वारंवार चुंबवू योग्य परिचार्य वि० सेववा के परिचर्चा करवा परिचीर्ण वि० पूजित; सेवित परिचुंबन न० प्रेमपूर्वक चुंबन कर ते Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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