Book Title: Vinit Kosh
Author(s): Gopaldas Jivabhai Patel
Publisher: Gujarat Vidyapith Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 714
________________ बलहंत ७०० बलहंत पुं० इंद्र (वल राक्षसने हणनार) बलि पुं० जुओ पृ० ६१४ बलिपुष्ट पुं० कागडो बहिर्वृत्ति स्त्री० बहारनी बाजु;बहारनो देखाव बाण पुं० जुओ पृ० ६१४ बाणासनयंत्र न० एक प्रकारर्नु धनुष्य (यांत्रिक करामतथी बाण छोडतुं) बाल्वज वि० बाल्व पासवें बनावेलु (वैश्यनो कंदोरो) बालहीक, बाहीक पुं० जुओ पृ० ६१४ बाहुक पुं० जुओ पृ० ६१४ बाहकंटक न० लडाईनो एक प्रकार (बच्चेथी चीरी नाखवू ते) बिसकंठिका स्त्री० बगली बीजवृक्षन्यायः, बीजांकुरन्यायः जुओ पृ० ६३४ भ्रांतिमत् बुक्क् १५०, १० उ० भस, बुद्ध पुं० जुओ पृ० ६१४ बुद्धिग्राह्य वि० बुद्धिथी अनुभवाय एवं; बुद्धिथी ग्रहण करवा योग्य बुध पुं० जुओ पृ० ६१५ बृहस्पति पुं० जुओ पृ० ६१५ बैल्व वि० बीलाना झाडर्नु ब्रह्मदूषक वि० वेदने जूठा पाडनाएं ब्रह्मन् पुं० जुओ पृ० ६१५ ब्रह्मराक्षस पुं० एक प्रकारचें भूत (जे ब्राह्मण परस्त्रीनुं तथा ब्राह्मणनी भिलकतनुं हरण करे ते मरीने अरण्य के निर्जळ देशमां एवं भूत थाय) ब्रह्मावर्त पुं० जुओ पृ० ६१५ ब्रह्मांजलि पुं० वेदपाठनी शरूआतमां तेम ज अंते गुरुने हाथ जोडवा ते ब्राह्मणग्रामन्यायः जुओ पृ० ६३४ भक्षितेऽपि लशुने न शांतो व्याषिः जुओ भीम पुं० जुओ पृ० ६१६ पृ० ६३४ भीमसेन पुं० जुओ पृ० ६१६ भगघ्न पुं० शंकर (भग-आदित्यनी भीष्म पुं० जुओ पृ० ६१६ आंखो फोडनार) भीष्मक पुं० जुओ पृ० ६१६ भट्टार वि० संमाननीय ; आदरणीय भूमिपति पुं० राजा; सम्राट भरत पुं० जुओ पृ० ६१५ भलिंगशकुन पुं० पंखीनी एक जात भरतवर्ष पुं० जुओ पृ० ६१५ (पर्वतमां थती) भरद्वाज जुओ पृ० ६१५ . भूलिंगशकुनिन्यायः जुओ पृ० ६३२ भर पुं० सुवर्ण; सोनू (२) पति (३) भूषा स्त्री० आभूषण (२) रत्न शिव (४) विष्णु भृगु पुं० जुओ पृ० ६१६ । भरुकच्छ पुं० जुओ पृ० ६१५ भक्ष्याश्रम पुं० संन्यासाश्रम (२) भस्मनि आज्याहुतिः जुओ पृ० ६३४ ब्रह्मचर्याश्रम भागीरथी स्त्री० जुओ पृ० ६१५ भोज पुं० जुओ पृ० ६१६ भार्योढ वि० परणेलु (पुरुष) भोजपति पुं० जुओ पृ० ६१६ भिक्षुपादप्रसारणन्यायः जुओ पृ० ६३४ । भ्रांतिमत् वि० गोळ फरतुं (२) भ्रममां भिल्लीचंदनन्यायः जुओ पृ० ६३४ पडेलु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724