Book Title: Vinit Kosh
Author(s): Gopaldas Jivabhai Patel
Publisher: Gujarat Vidyapith Ahmedabad
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मगध
७०१
मृगराज
मगध पुं० जुओ पृ० ६१७ मणिपुर न० जुओ पृ० ६१७ मत वि० मानेलं; धारेलू; गणेलू (२) संमान करेलु (३) ध्यान करेल (४) इच्छेलु (५) संमति आपेलं मत्स्यदेश पुं० जुओ पृ० ६१७ मदनकलह पुं० मैथुन; संभोग मवावस्था स्त्री० मद झरवानी स्थिति (२) पीधेली दशा (३) कामोन्मादनी दशा मद्र पुं० जुओ पृ० ६१७ मधु पुं० जुओ पृ० ६१७ मधुपकिक पुं० संमानित अतिथिना सत्कार-विधि वखते स्तुतिगान के मंगळगान करनारो मषु पश्यसि दुर्बुद्धे प्रपातं नानुपश्यसि
जुओ पृ० ६३४ मधपुर न० मथुरा मधुवन न० जुओ प० ६१७ मध्यदेश पुं० जुओ पृ० ६१७ मनु पुं० जुओ पृ० ६१७ ।। मनोवहा स्त्री० हृदयनी मध्यमां रहेली
एक नाडी मय, मयासुर पुं० जुओ पृ० ६१७ मरीचि पुं० जुओ पृ० ६१७ मर्कटमदिरापानादिन्यायःजुओपृ०६३५ मलज, मलद पुं० जुओ पृ० ६१७ मलय पुं० जुओ पृ० ६१७ मल्लदेश पुं० जुओ पृ० ६१७ महाकाल पुं० जुओ पृ० ६१८ महाकोसल पुं० जुओ पृ० ६१८ महाडीन न० पक्षीनी ऊडवानी एक रीत
[प०६१८ महानदी स्त्री० मोटी नदी (२) जुओ महापथिक वि० राजमार्ग के धोरीमार्ग
उपर जकात उघरावनाएं (२) मोटी मुसाफरीओ करतुं [ग्रंथोनो समूह महास्मृति स्त्री० षडंगो अने स्मतिमहेंद्र पुं० जुओ पृ० ६१८ महोदय न० जुओ पृ० ६१८ मंडुकप्लुतिन्यायः जुओ पृ० ६३५ मंदाकिनी स्त्री० जुओ पृ० ६१८ माकंदी स्त्री० जुओ पृ० ६१८ माघ पुं० जुओ पृ० ६१८ । माठर पुं० व्यास (२)एक ब्राह्मण (३) दारू गाळनारो (४) सूर्यनो एक अनुचर - परिपाश्विक (५)एक गोत्र मात्स्यन्यायः जुओ पृ० ६३५ माद्री स्त्री० जुओ पृ० ६१८ माधव पुं० जुओ पृ० ६१८ मानस न० जुओ पृ० ६१८ माया स्त्री० जुओ पृ० ६१८ माया, मायापुरी स्त्री० जुओ पृ० ६१८ मायावती स्त्री० जुओ पृ० ६१८ मारीच पुं० जुओ पृ० ६१८ मारुति पुं० जुओ पृ० ६१८ मालव पुं० जुओ पृ० ६१८ मालिनी स्त्री० जुओ पृ० ६१८ माल्यवत् पुं० जुओ पृ० ६१८ माहिषक पुं० जुओ पृ० ६१९ माहिष्मती स्त्री० जुओ पृ० ६१९ मिथिला स्त्री० जुओ पृ० ६१९ मीदवस. वि० उदार; दानेशरी (२) वीर्यस्राव करतुं (३) शिव मुट १५०,१० उ० कचरी-छंदी नाखवं
(२) मारी नांखवू मुनिता स्त्री० वानप्रस्थपणुं मुर पुं० जुओ पृ० ६१९ मुरारि पुं० जुओ पृ० ६१९ मगराज पुं० सिंह
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