Book Title: Vinit Kosh
Author(s): Gopaldas Jivabhai Patel
Publisher: Gujarat Vidyapith Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 695
________________ खरकंडूयन खरकडून न० (घाने खण्या करे तेनी पेठे ) बगडेलाने वधु बगाडवं ते खरायित न० गधेडानुं वर्तन खरी स्त्री० गधेडी (२) खच्चरी खरीवात्सल्य न० खच्चरीनुं बच्चा प्रत्येनुं वात्सल्य (बच्चुं जन्मतां मा मरी जती होवाथी नकामुं गणाय) खर्जूरी स्त्री० खजूरनुं झाड खलीकृत वि० अपमानित करेलुं; बदमाशनी जेम वर्तवामां आव्युं होय तेव गगनारविंदन्यायः जुओ पृ० ६३२ गज् १ प० गर्जवु; बराडवु ( २ ) मदमत्त थ ६८१ गजच्छाया स्त्री० सूर्यग्रहण समये श्राद्ध माटे योग्य एवो अमुक समय गजनासा स्त्री० हाथीनी सूंढ गजपति पुं० ऊंचो उत्तम हाथी ( २ ) हाथीनो मालिक के महावत गजपुष्पी स्त्री० एक फूल; नागपुष्पी गजमुख, गजवक्त्र, पुं० गणेश गजवत् वि० हाथीओ युक्त गजवदन पुं० गणपति गजसाह्वय न० हस्तिनापुर गरिकाप्रवाहन्याय: जुओ पृ० ६३२ गणपूर्व पुं० मुखियो ( टोळी के वर्गनो) गणभर्तृ पुं० शंकर (२) गणेश (३) टोळी के वर्गनी मुखियो गणवल्लभ पुं० सेनानायक गणित न० गणवं ते; तेनुं शास्त्र The fao गणी शकाय तेवुं गणेश पुं० जुओ पृ० ६०५ गतिमत् वि० गति करी शके तेवुं ; गतिमान ( २ ) साधनसंपन्न ( मिलकत, पुस्तको इ० ) गभस्तिनेमि पुं० विष्णु Jain Education International ग गलु खलेकपोतन्यायः जुओ पृ० ६३२ खंडशर्करा स्त्री० खडी साकर खंडितविग्रह वि० जेनुं अंग खंडित थयुं छे तेव् खांडव न० जुओ पृ० ६०५ खांडवराग पुं० एक प्रकारनी मीठाई खेलगमन, खेलगामिन् वि० विलासपूर्ण के राजवी चालवाळु शरीर न० छायापुरुषनुं शरीर खोरक पुं० जानवरना पगनो एक रोग गमक पुं० स्वरना उत्थाननो प्रकार ( सात छे; संगीत० ) गम्य पुं० ( कामभोग माटे स्त्री जेने मेळवी शके तेवो) लंपट - कामी पुरुष गरल्लि पुं० ( गळानो) घरघर अवाज गरुड पुं० जुओ पृ० ६०५ गर्धन न० इच्छा; लालच गर्भग्राहिका स्त्री० दाई; दायण गर्भभर्मन् पुं० गर्भनुं पोषण गर्भसंभूति स्त्री० गर्भ रहेवो ते गर्व १ प०, १० आ० गर्व करवो ( 'गर्वित ' एवं भू० कृ० ज वपराय छे) गवित वि० गर्विष्ठ (२) न० गर्व गलग्रह पुं०, गलग्रहण न० गळं दाबवुं ते (२) एक रोग (गळानो) (३) कृष्णपक्षनी ४थी, ७ मी, ८ मी, ९ मी अने १३ मी तिथि गलवार्त वि० गळाना काममां ( खूब खाईने पचाववामां ) समर्थ एवं गलहस्तित वि० गळेथी पकडेल गलितक पुं० नृत्यनो एक प्रकार गलितनखदंत वि० नख अने दांत पडी गया होय तेनुं (वृद्ध) [ तेवुं गलितयौवन वि० युवानी चाली गई होय गलु पुं० एक मणि ( चंद्रकांत ) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724