Book Title: Vinit Kosh
Author(s): Gopaldas Jivabhai Patel
Publisher: Gujarat Vidyapith Ahmedabad
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टंकित
जनक
६८६ जनक पुं० जुओ पृ० ६०७
जातिगद्धि स्त्री० जन्म धारण करवो ते जनमेजय पुं० जुओ पृ० ६०७ जातुष वि० लाखन बनेल के बनावेल जनस्थान न० जुओ पृ० ६०७
जापक पुं० जप करनारो जन्मप्रतिष्ठा स्त्री० माता (२)जन्मभूमि । जालंधर पुं० जुओ पृ० ६०८ जमदग्नि पुं० जुओ पृ० ६०७ जांबवत् पुं० जुओ पृ० ६०८ जयदेव पुं० जुओ पृ० ६०७
जांबवती स्त्री० जुओ पृ० ६०८ जयद्रथ पुं० जुओ पृ० ६०७
जिल्लिकाः पुं० ब० व० ए जातना लोक जया स्त्री० (विश्वामित्र रामने शीख- जिह्येतर वि० मंद के जड नहि तेवू वेली) मंत्रविद्या
जीमूतवाहन पुं० जुओ पृ० ६०८ जयाजयो पुं० द्वि० व. जय-पराजय जीवग्राहम् अ० जीवतुं होय तेम जरासंध पुं० जुओ पृ० ६०७
जीवंती स्त्री० एक मिष्टान्न जलज न० कमळ
जति स्त्री० गति; त्वरा जलजासन पुं० ब्रह्मा (कमळना आसन- जूर् ४ आ० -नी उपर क्रोध करवो वाळा)
मुंभक पुं० एक जातनो राक्षस (२) जलताडनन्यायः जुओ पृष्ठ ६३३
तेने दूर करवानो मंत्र जलपथ पुं० दरियानी मुसाफरी जैमिनि पुं० जुओ पृ० ६०८ जलशय्या स्त्री० पाणीमां सूई रहे। ज्ञातिचेल न० नीच कुळमां जन्मेलो ते (एक व्रत)
ज्ञातेय न० बंधुकृत्य ; सगाने छाजे जलस्थाय पुं० तळाव; सरोवर
तेवू काम जल्पाक वि० वातोडियु
ज्ञानयज्ञ पुं० तत्त्ववेत्ता; ज्ञानी जह्न, पुं० जुओ पृ० ६०८
ज्ञानाग्नि पुं० ज्ञानरूपी अग्नि जंबद्वीप पुं०, न० जुओ पृ० ६०८ । ज्येष्ठामूल पुं० जेठ महिनो जंबूप्रस्थ पुं० एक गामनुं नाम
ज्येष्ठिनय वि० मोटी के मानीती जंभक पुं० औषधोपचार (२) दगाबाज पत्नीथी जन्मेलं माणस (३) बिजोरं
ज्वरगंड पुं० एक रोग जंभसाधक वि० वैद्यकना ज्ञानवाळं ज्वल पुं० अग्निनी ज्वाळा; झाळ जाटासुरि पुं० अलंबुष नामनो राक्षस ज्वालालिंग न० शंकर- ए नामनुं धाम
झणझणायमान, झणझणायित वि०
झणकार करतुं झलझल पं० आंजी नाखे तेवो चळकाट
(घरेणानो) झषध्वज पुं० कामदेव; मकरकेतु झिल्लिक पुं० तमा
टंकित वि० बांधेलु; जकडेलं
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