Book Title: Vinit Kosh
Author(s): Gopaldas Jivabhai Patel
Publisher: Gujarat Vidyapith Ahmedabad

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Page 691
________________ पणन कुवेधस् ६७७ कृताकृत कुवेधस् पुं० दुर्दैव; कमनसीब कुंतिभोज पुं० जुओ पृ० ६०४ कुशचीर न० दाभनु बनावेलु वस्त्र कुंती स्त्री० जुओ पृ० ६०४ कुशध्वज पुं० जनक राजानो नानो भाई कुंभकर्ण पुं० जुओ पृ० ६०४ कुशमुष्टि स्त्री० दाभनी झंडी कुंभीनसी स्त्री० रावणनी बहेनतुं नाम कुशलिन् वि० सुखी; समृद्ध (२) एक कुंभोदर पुं० शिवना एक पार्षदनुं नाम हलकी कारीगर वर्णन कुंभोलूक पुं० एक जातनुं घुवड कुशस्थली स्त्री० जुओ पृ० ६०४ ।। कू १ आ० [कवते], ६ आ० [कुवते] कुशाग्रीय वि० दर्भना अग्रभाग जेवं; बूम पाडवी; चीस पाडवी । सूक्ष्म - तीक्ष्ण [पृ० ६०४) कूटलेख पुं० बनावटी के खोटो दस्तावेज कुशावती स्त्री० कुशनी राजधानी (जुओ कूपमंडूकन्यायः जुओ पृ० ६३२ कुशील वि० खराब स्वभाववाछु; खराब कूपयंत्रघटिकान्यायः जुओ पृ० ६३२ चारित्र्यवाळु [जमीन कृकल पुं० एक जातनुं पंखी (२) कुष्ठल न० खराब स्थळ (२)धरती; पाचनक्रियामां मदद करतो प्राणकुसुमचित वि० पुष्पोनो ढगलो जेना वायु (३) काचिडो; सरडो उपर करवामां आवेलो होय तेवू; कृतकम् अ० ढोंग करीने ; देखाव करीने पुष्पोथी व्याप्त [वृक्ष कृतक्रिय वि० कृतकृत्य कुसुमद्रुम पुं० पुष्पोथी भरपूर छवायेलं कृतक्षौरस्य नक्षत्रपरीक्षा जुओपृ० ६३२ कुसुमपुर न० पाटलिपुत्र (जुओ पृ० कृतजन्मन् वि० जन्म आपेलं; पेदा ६०४) [करवां करेलु; बीज वावेलुं . कुसुमय प० पुष्पित करवू; फूल उत्पन्न कृततीर्थ वि० सुगमताथी जई शकाय कुसुमशयन न० फूलोनी पथारी - शय्या तेवू करेलु (२) तीर्थयात्रा करेलु (३) गुरु पासे अभ्यास करतुं होय तेवू (४) कुसुमशर पुं० कामदेव कुहलि पुं० नागरवेलनुं पान उपायो शोधवामां पावरधुं । कुहकाल पुं० महिनानो छेल्लो दिवस; कृतनिश्चय वि० जेणे निश्चय कर्यो अमावास्या (ज्यारे चंद्र न देखाय) होय तेवू [हुमलो अने सामनो कृतप्रतिकृत न० आघात अने प्रत्याघात; कुंजरग्रह पुं० हाथीने पकडनारो । कृतप्रयोजन वि० जेणे पोतानो धारेलो कुंजरारोह पुं० महावत हेतु प्राप्त कर्यो छे तेवू कुंडधार पुं० एक मेघ (२) एक नाग कृतवर्मन् पुं० जुओ पृ० ६०४ कुंडपाय्य पुं० यज्ञ कृतव्यावृत्ति वि० पदच्युत करेलु; कुंडलना स्त्री० (शब्दनी) आसपास उतारी मुकेलं कुंडाळं करवू ते (तेने छोडी देवानो कृतशौच वि० पवित्र थयेलू छे के विचारवानो नथी एम दर्शाववा) कृतसंकेत वि० संकेत के वायदो कर्यो कुंडलीकरण न० धनुष्यने अति जोरथी होय तेवू [होय तेवू खेंचq ते (जेथी ते वर्तुळ जेवू देखाय) कृतसंस्कार वि० संस्कारविधि कर्यो कुंडिनपुर न० जुओ पृ० ६०४ कृतहस्तता स्त्री० कुशळता (२) शस्त्र कुंडोनी स्त्री० मोटा अडणवाळी गाय वापरवामां कुशळता; बाणावळीपर्यु (२) पुष्ट स्तनवाळी स्त्री कृताकृत वि० थोडं करेल अने थोडु नहि कुंतलाः पुं० ब० व० जुओ पृ० ६०४ करेलु (अधूरुं) (२) पुं० परमात्मा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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