Book Title: Vinit Kosh
Author(s): Gopaldas Jivabhai Patel
Publisher: Gujarat Vidyapith Ahmedabad

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Page 680
________________ उपगति ६६६ उपरोधक उपगति स्त्री० नजीक जq ते; पासे भवदूं; साक्षात् करवू .. आवq ते उपनम्र वि० पासे आवतुं; हाजर थतुं उपगामिन् वि०. नजीक आवतुं . उपनिधि पुं० थापण तरीके सोपेली उपग्रस् १५० ग्रसी- गळी जवं. वस्तु (२) कपट; छळ उपग्राह्य वि० अनुग्रह करवा के उपनिर्गमन न० बहार जवानो मार्च नोकरीमा चालु राखवा योग्य (२) उपनिवेशित वि० वसावेलुं; स्थापेलु पुं० नजराणुं राखेलु - [लागवू उपघ्रा प० सूंघवू; मों. वडे स्पर्श . उपनिषेव् आ० -मां लीन थq; - उपचक्र पुं० एक प्रकारन चक्रवाक पंखी उपनेतव्य वि० पासे लाववा योग्य (२) उपचर्य वि० सेवाचाकरी के आदर नोकरीए राखवा योग्य . करवा लायक उपन्यस्त न० छाती आगळ हाथ उपचारपद न० केवळ खुश करवा वाप- राखवा ते (लडवानो एक दाव) रेल - औपचारिक - शब्द उपप्रलोभन न० ललचावq ते (२) उपच्छंद पुं० आवश्यक साधनसामग्री लांच; बक्षिस - (२) समजावट; आजोजी उपप्लविन वि० संकटग्रस्त ; पीडित (२) उपजप १ प० कानमां खानगी रीते जुलम सहन करतुं समजावीने पोताना पक्षमा लई लेवू उपप्लव्य न० मत्स्यदेशनी राजधानी (२) दगो, कावतरं के बळवो करवा उपभृ ३ उ० वहन करवं; ऊंचकवू माटे उश्केर उपमाद्रव्य न० उपमा आपवा वपराती उपजिगमिषु वि० नजीक जवा इच्छतुं वस्तु उपजीव्य वि० निर्वाहनुं साधन पूरे उपमद् ९ उ० मर्दन करवं; कचरी पाडनाएं (२) पुं० जेमांथी पोताने नाखवू; टुकडा करवा; नाश करवो लखाण माटेनुं वस्तु के सामग्री मळी उपमेखलम् अ० ढोळाव के बाजु उपर रहे ते (३) न० निर्वाहनुं साधन उपयाच् १ उ. याचना करवी; मागवू उपतट पुं० धार; किनारी; सरहद उपयाचित वि० याचेलं; मागेल (२) उपतपन वि० संतापना; पीडनाएं न० याचना; आजीजी (३) देवनी उपदातृ वि० आपनाएं; बक्षनाएं बाधा तरीके मानेली वस्तु (बलिदान उपदीक ८ उ० बक्षिस तरीके आपवू तरीके आपवानी) (४) बाधा; मानता उपदृश् १ प० जोवू; निहाळवू उपयाचितक न० जुओ 'उपयाचित' न० -प्रेरक० दर्शावq; बतावq (२) उपयाज पुं० यज्ञोना पुरवणी मंत्र : रजू करवं; जाण करवं; -सामे मूकवू उपरथ्या स्त्री० नानो रस्तो (घोरी उपदेशता स्त्री० नियम; सिद्धांत (२) __ मार्गथी ऊलटो) शिक्षण; उपदेश उपरितल न० उपरनो भाग उपधानीय न० उशीकुं उपरुद्ध वि० डखल-रुकावट-अटकायत उपधायिन् वि० उशीका तरीके वापरतुं करायेलं (२) ढंकायेलं; आच्छादित; उपधृ १, १० प० धारण करवू; टेको छुपायेलं (३) पुं० केदी; बंदीवान आपवो; वहन करवू (२) मानवू; उपरोधक वि० अटकायत-रुकावट धार; गणवू (३) समजवू; अनु- करनाएं (२) घेरतुं; वीटळातुं For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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