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॥ इदा ॥
बीबी दीधे कप्पके, उर दीधे चंगे चीर; पहिरव्या सुलतान सवि, विमल वधार्यु वीर ॥१॥ मीरां सवि मीनती करे, बीबी दे श्रासीस; खिजमतं कर सितादरी, मंत्रि म आ रीस ॥ ॥ प्रत को कि दीवाली, अमर करे कयवार; खुदा खुसी ने तुहने, विमल विमल जसवाय ॥३ ॥ चोपाई ॥
खंड खंग मति दें निर्मली, श्रोता सांजलज्यों ऐ जेली; त्रिमल मंत्रिने रासे जाए, सुधो सत्तम खंभ वखाण ॥ १ ॥ सर्व गाथा १०६ ॥ ॥ इति श्री पंडित लावण्यसमय गणि कृते, श्री विमलमंत्र प्रबंधे, नव खंडे बपत्र को मिधन मार्गण, जीम जुपति विरोध चंद्रावती नगरी राज्य थापना, विविध देश साधन, सैन्य वर्णन, द्वादश सुरत्राण जैत्राधिकारे, सप्तम खं संपूर्णम् ॥
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