Book Title: Vimal Mantri no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
View full book text
________________
( ११५ )
रास ऊघाको रहकल
मंदिर किम रहे; हवे श्रावशे पकतो काल, तुफ सरिखा क्यांथा भूपाल ॥ १७ ॥ खाण, नीपार्क तेहने पाषाण; जोतरी संचरे, बलद बेठा कूलिर चरे ॥ १० ॥ कीजे सबलां नांगर दोर, कीजे जण जे जाणे जोर; रासायी ऊंचा चके, पाइण ते कृपा मूल प ॥ १७ ॥ मांड्या मंडप ते थिर थंज, घमी पुतली रुपे रंज घाट पाट तोरण कोरणी, मंग कलश पति धणी ॥ २० ॥ दीपे दहेरी जाक कमाल, छागल चोक रच्यो चोसाल; शेत्रुंज अष्टापद गिरनार, तेह तथा मांड्या अवतार ॥ ॥ ५१ ॥ नेढा वेढा बंधव जोम, तेह तथा सुतने थयुं कोम; दशरथ नाम प्रसिधुं जोय, विमल तणो जत्रीजो सोय ॥ २२ ॥ हस्तोशाला जे आागल खडी, विमल मूर्त्ति त्यां घोमे चमी; जोतां उपजे अधिक रंग, थानक थानक मूरति चंग ॥ २३ ॥ कुसुम कल उतरे अनेक, वारू वामि तथा विवेक, विमल मंत्रि मन उलट घणो,
Jain Educationa International For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org
![](https://s3.us-east-2.wasabisys.com/jainqq-hq/2b29b2d0daf3790894d5c0b4c02132961dbf04af21d2afb1f1ab5ae4eba3c41a.jpg)
Page Navigation
1 ... 174 175 176 177 178 179 180