Book Title: Vimal Mantri no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 153
________________ ( १५२ ) खंजायती, जेरी सामेरी सती, वयरामी खट जाषा वली, जावे भैरव सरसी मली ॥ ए६ ॥ बंगाली देवज महूारी, दोषशाटिका देवजगिरी, कामोदा खट जाषा एह, मेघ राग सरिखो सन्नेद ॥ १ ॥ तोडी तोमकी ने जुपाल, माहिम डुंबी मत्री माल; खट जाषा नव नव परी जी, ए ए नटनारायणी ॥ ए८ ॥ खट रागे इम जाख बत्रीस, बोल्या राग सदस बत्रीस; बोल्या मिश्रानामे बहु होय, तेहनो पार न पामे कोय ॥ एए ॥ रिद्धिमान जिन पूजा कही, खाठे सतर दें सही, एकवीस ने श्रोतरी, सहस लाख परि को करी ॥ १०० ॥ दहे पाप उखेवे धूप, दीप नसामे दुर्गती रूप, पूजा राज्य रिद्धि रस रंग दे नैवेद्य सौख्य सपत्तंग ॥ १०१ ॥ तव नियमा लहे मुगती विशाल, दाने नव नव जोग रसाल, देव जगति जली राणिम जोय, पण मरण इ उ मे होय ॥ १०३ ॥ दे गुरू सही सुतो आहार, मात तात त Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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