Book Title: Vimal Mantri no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
View full book text
________________
(१६४) बेटा तुं बोलाव, धरी खंत ने खाम पूराव ॥११॥ निसुणी गोहत्यानी वात, लघू बेटो बोलावे तात; श्राव्यो अचल न लागो वार, श्राम तातने किध जुहार ॥ १५ ॥ ते रिषिने सुंपी आपीले, तेणे ते थानक थापीजे; गुरु जंपे चंदावई धणी, एह वात पर शासन तणी ॥ १३ ॥ अर्बुद सिखर रहे अर्बुदा, तेह तणुं ए थानक सदा; श्रोमाता जे पासे रहे, तेनी वात केटलाए कदे ॥४॥ श्रीमाता डे झप निधान, आठयो रसि देव प्रधान; बोलावी श्रीमाता माय, ढुं रसि आ. व्यो वर राय ॥ १५ ॥ जाणुं ताहर। बेटी वरं, वरि ढुं काम कहुं ते करुं हुं रसि बुं लील विलास, तुऊ बेटीनी पुरिश आश ॥ १६ ॥ सासू जाणे जोई हाथ, तो बेटी वलगाउँ साथ; तव सास रसिया सारखं, राखी रात करे पार ॥ १७ ॥ बार गाम वासो वर राज, चिहुं पोहरे जुङ बारे पाज; आवो गिरि निपाई नवी, तो पुत्री परणावू हवि ॥ १७ ॥ ज्यां क्रूकड नवि
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org
![](https://s3.us-east-2.wasabisys.com/jainqq-hq/54d5fd2c4685f015da0588a71c18f32fc9efb094d73b07be521e0ade81238ef5.jpg)
Page Navigation
1 ... 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180