Book Title: Vimal Mantri no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 166
________________ ( १६५ ) वासे वली, शब्द कहीने सासू वली; सुंड्यो रसि वास्यां गाम, बार पाजनां कीधां ठाम ॥ ॥ १५ ॥ बांधी पाज सकल जब समी, थोडी थाके ले बारमी; सासू मन पेठो अंदोद, श्रीमाता उपर यति मोह ॥ २० ॥ में ए चापी बेटी करी, ए वर लेई जाशे वरी; हुं सती एकली निटोल, मुऊ बीजो कुण देशे बोल ॥२१ ममडोलो पेठो मन मांहिं, ए वर नयणे दीगे कोई; दीर्घं काम कर्पु ततकाल, दीघो बोल थाये विसराल ॥ २२ ॥ जे दीधा नारीना बोल, ते जावा जांगी ढोल; मांहिं पोला बाहिर नाद, वनिता सरिसो केहो वाद ॥ २३ ॥ पतली सासू तव प्रहसमा, करि कूकम वाश्या कारमा; रंगे रस लिखो थयो, श्रीमाता आगल जइ रह्यो ॥ २४ ॥ दृष्टोदृष्ट रह्यां वे जणां, चित्ते चित्त मां आपणां; अंग तो टलीउ संजोग, मनशुं मांगे मोटा जोग ॥ २५ ॥ बोल थकी चूकी तव धरी, सासू पंच ईटालि करी; लोक तणो पि Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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