Book Title: Vimal Mantri no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 168
________________ (१६७) श्राव्यो विमल सहित परिवार, अर्बुद जिन प्रासाद विचार पुजारा नवि लाने पार, जरमा मल्या सहस ग्यार ॥ ३४ ॥ ए थानक शिव शासन तणुं, मदेता तुम्हे म करशो घj: रुवा मंत्रि लेशो प्राण, गम न आपुं शिवनी वाण ॥ ३५ ॥ करे अरमि ने मरडे बोल, वरि विसामार निटोल; बोले शिव थया एक मती, नूमि न श्रापुं अम्हे एक रती ॥३६ ॥ मंड्यो कल. कल नरडे मली, वारी विमल मनावे वली; को बोलो जाउँ उताप, धर्म काज खप नही संताप ॥ ३३ ॥ कहुं बोल जे तुम्हे सांजलो, मेली मनह तणो श्रांमलो; जो जोतां ए थानक थकुं, काई प्रकट हुए श्रावकुं ॥ ३० ॥ तुम्हे करवा यो प्रासाद, नहितर अम्ह सरिसो नही वाद; बीजं गम सविसेसुं ग्रह्यु, श्रीमाता श्रागल जई रघु ॥ ३५॥ ते. नुं शिव कहे एटले, जोईजो तम्हे तेटले; श्म कहीने जरमा वल्या, मंत्रीश्वर अंधाई मल्या ॥ ४० ॥ धरी ध्यान करि बेने Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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