Book Title: Vimal Mantri no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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( १३६) गमथी ते आईया ॥५॥श्ववटीने बाटावटी, मासी वासि नवरंगी नटी;गना गम नलानालवी,श्राव्या वेग वश्या मालवी ॥३०॥वाजिनीया तायें मबगरी, नगरी वर्ण अढारे नरी; सोमामा ते राखे सीम, कोटवाल ते कीधा जीम ॥ ३१ ॥ जे जे जोसी पंमित हता, वसीआ नागमती नायता; वसे अढार वर मंदिर कोध, पोरुग्राम वास्या परसिक ॥ ३२ ॥ ज्ञाति चोरासी जे निर्मली, विमल विशेषे वासी वली; वसे विप्र विद्या अन्यसे, खत्री खांझे मन उनसे ॥३३॥ तुठी जस अंबाई मात, विमल प्रासाद कराव्यां सात; मंग कलस सिर धज लह लहे, पोढी जिन प्रतिमा गह गहे ॥३४ ॥ तपसी मठ नवली निशाल, राजन्नुवन पासे पोसाल; खट दरशन कीधा विश्राम, गम अनोपम कीधा ताम ॥३५॥ वामि वन नंदन तयाँ, दह दिसि सबल सरोवर नयाँ; पाषाणे दृढ बांधी पाल, खाई धाई गई पाताल ॥ ३६ ॥ के लंका के अमर
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