Book Title: Vedant Prakaranam Author(s): Vigyananand Pandit Publisher: Sarasvati Chapkhanu View full book textPage 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमोनमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ ॥अथ श्रीविज्ञानकमलाकरनामकोऽयं ग्रंथः प्रारभ्यते॥ ॐ ॥ ॐ प्रथमकमले मंगलपूर्वकभूमिकाकथनम् ॥ * ॥शार्दूलविक्रीडितम् छंद ।। वंदे श्री कमलापति शिवमुमां वाणीमजं निर्गुणं, यस्याज्ञानवशाद्विभाति सकलं स्वप्ने यथा संकटम् । यस्य ज्ञानवशान्न भाति निखिलं शून्ये यथा पंकजं, तं वंदे मम मुक्तये वरगुरुं विज्ञानसौख्यप्रदम् ॥१ ॥शिखरिणी छंद ॥ गुणातीतोऽभीतो हरति निजबोधेन निखिलं, रमानाथो रामो दशवदनहंता विलसतु। तथा शंभूः शूली जयतु पुरहर्ता त्रिनयनो, मुरारिः कंसारिः कमलकरकृष्णो विजयते ॥ २ ॐ श्री गणेशाय रमेशाय गौरीशाय नमोनमः अथ ग्रंथनिर्विघ्न समाप्ति वास्ते मंगलाचरण कर्तेहै श्री लक्ष्मीनारायण श्री गौरीशंकर श्री सरस्वती ब्रह्मा श्री निर्गुणब्रह्मको मै वंदना करता हूं जिस निर्गुणके अज्ञानसे संसार स्वप्न संकट समान भासता है पुनः तिस ब्रह्मक ज्ञानस यह जगत् ख पुष्प सम अह. श्य हो जाता है तिस ब्रह्मकू मै नमुंडं एवं मोक्षार्थ विज्ञानसौरव्य प्रदाता सद्गुरुजीकों वंदों हुं पुनः द्वैतारि रावणारि त्रिपुरारि कंसारिको प्रणमो हुँ । For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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