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वाक्यरचना बोध
नियम २०२-(अप्राणिजातीनाम् ३।१।१५०)-प्राणि को छोडकर जातिवाची शब्दों का द्वंद्वसमास में एकत्व हो जाता है। जैसे-घाना च शष्कुली च धानाशष्कुली। तरुशलम् ।
प्रयोगवाक्य हेमन्तशिशिरयोः शीतं अधिक बाधते । कृत्तिकारोहिण्योः कानि कार्याणि कर्तव्यानि सन्ति । पाण्डुधृतराष्ट्री भ्रातरौ आस्ताम्। मार्जारमूषकं विरोधस्य रूपकं भवति । अस्यां नगयाँ शूद्रायौं वसतः । चंद्राको कदा उदितः । माता पुत्रे रजति रजते वा । दुष्ट: पापानि गृहति गूहते वा । कियन्तः माः कूपं खनन्ति । दासः धावति धावते वा । वस्त्राणि कोऽधावीत् अधाविष्ट वा। रमा निशायां किमपि न भक्षति प्लक्षते वा।
संस्कृत में अनुवाद करो (द्वन्द्वसमास में) -- १ कप में
किन्ने ? के पति थोर पत्र कहां है ? माणक मेरी बहन का पति है। घी और मधु साथ में मत खाओ। राजा और मंत्री कहां है ? माता और पिता को नमस्कार करो। बैशाख और जेठ में गर्मी पड़ती है । युधिष्ठिर और अर्जुन भाई थे। पुष्य और पुनर्वसू ये दो नक्षत्र हैं । सांप और नेवले में सदा वैर रहता है। सुख और दुःख में सम रहने वाला ही मुनि होता है । मोहन के घर में गाय और भैस हैं। प्रत्याहार में आदि और अंत का ग्रहण होता है । देव और दैत्यों का युद्ध किसने देखा था ? दीर्घ और लघु की क्या परिभाषा है ?
___ संस्कृत में अनुवाद करो सोहन को चटनी अच्छी लगती है। आज मेरे घर में मीठे चावल बने हैं। माष के कोफले कौन खाता है ? रोटी के साथ भाजी चाहिए । सुरेन्द्र लपसी नहीं खाता है। मुरब्बा अनेक प्रकार का होता है । राजस्थानी लोग मोठ की रोटी खाते हैं। सीमा ने आज बडी बनाई है। मेवाडी लोगों को वाटी प्रिय है। हलवा कितने प्रकार का होता है ? तुम कौन सी दाल खाते हो? ज्वार और बाजरा कहां उत्पन्न होता है ? घर में आटा नहीं है । शीला भाई से राग करती है। पापों को मत छिपाओ। बालक मिट्टी खोदता है । मोहन क्यों दौड़ा? श्याम कपड़े धोता है । जैन साधु रात में नहीं खाते ।
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१. निम्नलिखित शब्दों का द्वंद्वसमास में विग्रह करें
(१) बदरामलकम् (२) जायाफ्ती (३) अश्वखरम् (४) इन्द्राग्नी (५) धवखदिरो (६) तरुशलम् । २. निम्नलिखित शब्दों में कौन से शुद्ध, कौन से अशुद्ध हैं और किस नियम से बतलाएं