Book Title: Vakya Rachna Bodh
Author(s): Mahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
Publisher: Jain Vishva Bharti

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Page 620
________________ परिशिष्ट ५ ६०३ ६५. मुचलुन्ज (मुञ्चति) छोडना वि (पृथक्करणे प्रेरणायां च) पृथक् होना; आ (परिधाने) पहनना प्रेरणा देना। वि (त्यागे) छोडना वि-+नि (व्यये नियमितकरणे प्रेषणे ग्रंथने ६६. मृशज् (मृशति) स्पर्श करना एकत्रीकरणे च) व्यय करना, नियमित परा (परामर्श) परामर्श करना करना, भेजना, ग्रथित करना, इकट्ठा वि (विमर्श) विमर्श करना, चिन्तन करना करना। अभि (अभिमाने मर्दने पराभवने च) वि+प्र (पृथक्करणे) पृथक् करना अभिमान करना, मर्दन करना, पराभव सम् (मेलने) संयुक्त होना करना। ७१. युजन् (युनक्ति) जोडना ६७. यतीङ् (यतते) प्रयत्न करना प्र-प्रयोग करना आ (वशीभवने) वशीभूत होना उप-उपयोग करना ६८. यमुं (यच्छति) निवृत्त होना सम्—संयोग करना उत् (उद्यमे) उद्यम करना अनु–प्रश्न करना उप (स्वीकारे, विवाहे) स्वीकार करना, नि–नियुक्त करना विवाह करना वि-वियोग करना ६९. यांक (याति) जाना प्रति-विरोध करना प्र-प्रयाण करना परि+अनु-प्रश्न करना अप-दूर जाना अभि-लांछन लगाना अनु-अनुसरण करना उद्-उद्योग करना निर्-निकलना ७२. रजनच-रागे (रज्यति) राग आ-आना करना अभि-सम्मुख जाना उप (ग्रहणे ग्रासे च) ग्रहण करना, ग्रसित ७०. युजंङ्च् (युज्यते) समाधि होना करना। अनु (प्रश्ने सावधाने दोषारोपणे व्याख्याने अनु (प्रीतौ) प्रीति करना च) प्रश्न करना, सावधान होना, वि (विरागे) विरक्त होना दोषारोपण करना, व्याख्या करना। ७३. राधंच (राध्यति) पूरा करना अभि (लपने पुत्कारे दोषदाने अद्भुतप्रश्ने अभियोगे च) बोलना, पुकार करना, ___ अप-अपराध करना वि-विराधना करना दोष देना, अद्भुत प्रश्न करना, आरोप लगाना। आ–आराधना करना उप (भोजने कार्यानयने बलाग्रहणे च) ७४. रमङ् (रमते) कोरा करना भोजन करना, कार्य लेना, बलपूर्वक उप (निवृत्तौ नाशे कर्मत्यागे च) निवृत्त ग्रहण करना। होना, नाश होना, पलायन करना।

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