Book Title: Vakya Rachna Bodh
Author(s): Mahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
Publisher: Jain Vishva Bharti

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Page 633
________________ ६१६ तैयार होना - सज्जति तोडना — भनक्ति, त्रोटयति तोलना -- तोलयति, तोलयते, माति वाक्यरचना बोध तृप्त करना – तर्पयति, पृणाति, प्रीणाति, प्रीणयति तृप्त होना - तृप्यति थकना - श्राम्यति थमना - -स्तम्भनोति थूकना —ष्ठीवति दण्ड देना - दण्डयति, दण्डयते दबाना — दाम्यति, शमयति दया करना - दयते, अनुकम्पते दुःख करना - अनुशेते, अनुतप्यते दुःख देना - पीडयति, पीडयते, दुःखयते, क्लिश्नाति दुःखित होना - दुःखायते, विषीदति, तप्यते, निर्विद्यते खिद्यते, व्यथते, क्लिश्यति, विमनी भवति, विमनायते, दूयते, दुर्मनायते, उद्विजते दुहना-दोग्धि देखना - पश्यति, विलोकते, विलोकयति, वीक्षते, निभालयति, विभावयति, निध्यायति, निशामयति, निरूपयति दुरुपयोग करना – अपयुनक्ति दूर करना – अपनयति, उत्सृजति, व्यपोहति व्यपाकरोति दूर होना - अपसरति, उत्सरत दूषित करना — दूषयति, दूषयते देना - ददाति, दत्ते, ददते दिशति, विश्राणयति, प्रयच्छति, उत्सृजति, वितरति, समर्पयति देर करना - विलम्बते दौडना - धावति धक्का देना —— धक्कयति धमना - - धमति धारण करना - धारयति, धरति दधते, दधाति, वहति, आलम्बते, बिर्भात, कलयति धूप देना -धूपायति धोना - प्रक्षालयति, प्रक्षालयते ध्यान करना — ध्यायति नमस्कार करना — प्रणमति, नमस्करोति, नमस्यति, वन्दते, प्रणिपतति, प्रणिदधाति

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