Book Title: Vakya Rachna Bodh
Author(s): Mahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
Publisher: Jain Vishva Bharti
View full book text
________________
परिशिष्ट ४
५६३.
अनीय करणीयम्
अनट् करणम्
कीर्तनीयम् क्रन्दनीयम् क्रमणीयम्
कीर्तनम्। क्रन्दनम् क्रमणम
क्रीडनीयम् क्रयणीयम् क्रोधनीयम् क्रोशनीयम् क्लमनीयम्
क्रीडनम् क्रयणम् क्रोधनम् क्रोशनम् क्लमनम्
क्लेशनीयम्
क्लेशनम्
तुम् पत्वा यप् क्ति/ङ/म करितुम् करित्वा प्रकीर्य कीणिः
करीत्वा कीर्तयितुम् कीर्तयित्वा . कीत्तिः कन्दितुम् क्रन्दित्वा आक्रन्द्य क्रन्दितिः क्रमितुम् क्रमित्वा संक्रम्य क्रान्तिः
क्रान्त्वा क्रीडितुम् क्रीडित्वा संक्रीड्य क्रीडा केतुम् क्रीत्वा विक्रीय क्रीतिः क्रोद्धम् क्रुद्ध्वा संक्रुध्य क्रुद्धिः क्रोष्टुम् क्रुष्ट्वा आक्रुश्य क्रुष्टि: क्लमितुम्
क्लान्त्वा परिक्लम्य क्लान्ति
क्लमित्वा क्लेशितुम् क्लेशित्वा संक्लिश्य क्लिष्टि:
क्लिष्ट्वा क्वणितुम् क्वणित्वा प्रक्वण्य . क्षमितुम् क्षमित्वा संक्षम्य क्षान्तिः
क्षान्त्वा क्षालयितुम् क्षालयित्वा प्रक्षाल्य ।
क्षित्वा प्रक्षीय क्षेप्तुम् क्षिप्त्वा प्रक्षिप्य क्षिप्तिः क्षोत्तुम्
क्षुत्त्वा संक्षुद्य क्षुद्दिः क्षोद्धम्
क्षुधित्वा संक्षुध्य क्षुद्धिः क्षोभितुम्
क्षुभित्वा संक्षुभ्य क्षुब्धिः खात्वा प्रखन्य खातिः
खनित्वा खादितुम् खादित्वा संखाद्य ख्यातुम् ख्यात्वा संख्याय ख्यातिः
क्लेष्टुम्
क्वणनीयम् क्षमणीयम्
क्वणनम् क्षमणम्
क्षतुम्
क्षेतुम्
क्षालणीयम् क्षालणम् क्षयणीयम्
क्षयणम् क्षेपणीयम् क्षेपणम् क्षोदनीयम्
क्षोदनम् क्षोधनीयम् क्षोधनम् क्षोभणीयम् क्षोभनम् खननीयम् ___खननम्
खनितुम्
खादनीयम् ख्यानीयम्
खादनम ख्यानम
गणनीयम् ।
गणनम्
गणयितुम्
गणयित्वा विगणय्य गणना
विगण्य गदित्वा अनुगद्य ० गत्वा आगत्य गतिः
गदनीयम् गमनीयम्
गदनम गमनम्
गदितुम् गन्तुम्

Page Navigation
1 ... 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646