Book Title: Vakya Rachna Bodh
Author(s): Mahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
Publisher: Jain Vishva Bharti

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Page 617
________________ ६०० ४४. विशन्न (दिशति ) दान देना आ (आज्ञायाम्) आदेश देना उत् ( उद्देशे ) संकेत या लक्ष्य करना, बतलाना । अप (अपदेशे) बहाना करना अति ( अतिदेशे - तुल्यतया कथने) समान रूप से कहना । वि + अप ( व्यपदेशश्छलम् विपर्यये संज्ञाकरणे च) छल करना, नाम करना नि (नियोगे ) शासन करना निर् (निर्देशे ) निर्देश देना प्र ( नियुक्तौ ) नियुक्त करना प्रति + सम् ( प्रतिदाने) देना सम् + आ (मान्ये) मानना सम् + उप (दूरस्थितवस्तुन: अंगुल्यादिभिर्दर्शने) अंगुलि से संकेत करना ४५. दिन (देग्धि) लेप करना सम् — संदेह करना उप-उपलेप करना ४६. धांनक् (दधाति ) धारण करना सम् (सन्धाने ) संधि करना अनु + सम् ( अनुसंधाने) अनुसंधान करना वि (विधाने) करना अन्तर् (अन्तर्धाने) छिपना श्रुत् (श्रद्धायाम् ) श्रद्धा करना नि (निधाने ) स्थापित करना अभि ( अभिधाने ) कहना परि ( परिधाने) पहनना प्र + नि ( प्रणिधान) समाधि लेना सम् + नि ( सन्निधाने) पास रखना उप + आ (उपाधौ ) उपाधि लेना वि + आ ( व्याधौ ) व्याधि होना वि+अव ( व्यवधाने ) अवरोध होना, वाक्यरचना बोध छिपना अव ( अवधाने ) ध्यान और एकाग्रता उप ( उपधाने - शयनोपकरणे भेदकरणे) तकिया लगाना सम् + आ (समाधाने) समाधान देना सम् + अव (सावधाने ध्यानदाने च ) सावधान होना, ध्यान देना आ (स्वीकारे करणे स्थापने च ) स्वीकार करना, स्थापना करना, धारण करना उप ( उपकारे सहायदाने च ) उपकार करना, सहायता देना । अपि (आच्छादने ) ढकना प्रति+वि ( प्रतिकारे निवारणे प्रत्युत्तरे च प्रतिकार करना, निवारण करना प्रत्युत्तर देना सम् + (चर्चाकरणे साधनकरणे च ) चर्चा करना, साधन करना ४७. ध्यें ( ध्यायति) चितन करना अप - बुरा ध्यान करना नि― देखना वि-बुझाना प्रति + सम् (चर्चाकरणे साधनकरणे च ) चर्चाकरना, साधन करना सम् + नि (निकटे) निकट होना सम् ( मिलने) मिलना सम् + आ (मनः स्थैर्ये शंकापनयने सुखे शान्ती च ) मन को स्थिर करना, शंका दूर करना, शान्ति प्राप्त होना । ४८. नदि ( नन्दति ) प्रसन्न होना आ ( सुखीभवने) आनन्दित होना अभि (इच्छायां स्वीकारे सम्वर्द्धने स्तुतौ च ) इच्छा करना, स्वागत करना, सराहना करना, अभिनन्दन करना ।

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