Book Title: Vakya Rachna Bodh
Author(s): Mahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
Publisher: Jain Vishva Bharti

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Page 615
________________ वाक्यरचना बोध करना उप (पार्श्वगमने) पास में जाना अभि-अभिग्रह करना आ-आना ३२. घटषक (घटते) चेष्टा करना उप+आ (निकटागमने) निकट आना, उत् (भाषणे प्रकाशे च) बोलना, प्रकट सामने आना ___ करना नि (ज्ञानप्राप्तौ) ज्ञान प्राप्त करना वि (वियोजने) अलग करना दुर् (दुःखे गमने) दुर्दशा में जाना सम् (योजने) जोडना निर् (बहिर्गमने) निकलना ३३. घट्टण (घट्टते) हिलना परि (दक्षिणायां परित: व्याप्ती) प्रदक्षिणा परि (प्रसारे) फैलाना वि (मज्जने शौचे विकारे च) मज्जन अधि (मिलने प्राप्ती वा) प्राप्त करना ___करना, शुद्ध करना, विकृत करना अव—जानना सम् (संस्पर्श) स्पर्श करना अभि+उप (स्वीकारे) स्वीकार करना ३४. चक्षक (चक्षते) बोलना सं+आ (मिलने एकत्रीभावे च) मिलना, वि+आ (विवरणे) व्याख्या करना इकट्ठा करना ३५. चर (चरति) खाना, जाना सु (सुष्ठुगमने) अच्छी तरह से जानना सम् (संक्रमणे) संक्रमण करना, संचार प्रति आ (प्रत्यागतौ) वापस लौटना करना वि - विनाश होना उत् (उदये) उदय होना ३०. गाहूङ (गाहते) डुबकी लगाना अति+आ (आज्ञाभंगे) अनुचित आचरण अव (स्नाने) स्नान करना, अवगाहन करना करना वि (कम्पने) बिलोडन करना अनु (अनुसरणे) पीछे चलना, अनुकरण ३१. ग्रहन्श (गृह णाति) ग्रहण करना करना सम् (संग्रहे) संग्रह करना अति (नियमोल्लंघने) नियम का उल्लंघन अव (वृष्टिप्रतिबंधे) वृष्टि की रुकावट करना करना परि+उप (सेवायाम् ) सेवा करना नि (निग्रहे, तिरस्कारे) निग्रह करना, उप (अर्चनविधौ च) सेवा करना, पूजा तिरस्कार करना करना वि (विग्रहे युद्धकरणे समस्तस्य पृथक्करणे अप (नाशे) नष्ट होना च) कलह करना, युद्ध करना, समस्त प्र (प्रसिद्ध व्याप्ती आचरणे च) प्रचार पद के खंडों को अलग करना करना प्रति (स्वीकारे) स्वीकार करना उत् (आज्ञाभंगे देशात् निःसरणे भाषणे आ (आग्रहे) आग्रह करना उदये च) आज्ञा भंग करना, उच्चारण अनु (अनुग्रहे) अनुग्रह करना करना, बाहर आना, ऊपर उठना परि-परिग्रहण करना वि (विचारे) विचार करना

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