Book Title: Vakya Rachna Bodh
Author(s): Mahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
Publisher: Jain Vishva Bharti

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Page 616
________________ परिशिष्ट ५ ५६६ आ (उत्तमकार्ये करणे च) उत्तम कार्य वि (स्पष्टज्ञाने) स्पष्ट जानना करना, आचरण करना ____ सम् (उत्कण्ठापूर्वकस्मरणे) उत्कण्ठापूर्वक सम्+आ (उपर्यारोहणे) ऊपर चढना स्मरण करना सम-आ (प्रसिद्धौ श्रेष्ठाचरणे समाचरे च) परि (त्यागे) छोडना प्रसिद्ध होना, श्रेष्ठ आचरण करना। ३६. टकिण (टङ्कयति) चिह्न लगाना ३६. चिन्त् (चिनोति) चुनना उत् (उल्लेखे) उल्लेख करना उप (वर्द्धने) बढना निस् (बन्धने) बांधनो अप (हीनकरणे) कम करना सम् ---उत् (समुच्चये) एक साथ इकट्ठा ४०. णमं (नमति) झुकना प्र (प्रणामे) प्रणाम करना होना परि (परिणामे) परिणमन होना अभि + उत् (अभ्युच्चये) उत्कर्ष होना, ४१. णहंन्च् (नाति) बांधना वृद्धि करना सम् (सञ्चये) संचय करना सम् (कवचधारणे) युद्ध के लिए तैयारी निस् (निश्चये) निश्चय करना करना परि (परिणाहे) विस्तार करना वि+ निर् (सम्यग् निश्चये) विशेष रूप से निश्चय करना। ४२. णींन (नयति, नयते) पाना प्र (अतिशये) उपचय करना प्र (प्रेमकरणे संदेशे शिक्षाकरणे च) प्रेम करना, संदेश देना, शिक्षा देना नि (समूहे) समूह, संचय करना अप (दूरीकरणे) दूर करना अव (कुसमादिग्रहणे) चुनना उप (समीपानयने) समीप लाना परि (अभ्यासे ज्ञाने सम्बन्धे च) अभ्यास उत (उन्नयने) ऊंचा ले जाना करना, ज्ञान करना, संबंध करना अभि (अभिनये) अभिनय करना ३७. जभिङ् (जम्भते) जंभाइ लेना अनु (अनुनये) प्रार्थना करना उत् (प्रकाशे) खिलना ३८. ज्ञांश (जानाति) जानना वि (विनये विगणने च) विनय करना, कर्ज चुकाना अनु (अनुमोदने) अनुमोदन करना अव (अवमाने) अपमान करना ४३. दांनक (ददाति) देना उप (प्रथमज्ञाने) प्रथम ज्ञान करना आ (ग्रहणे) लेना प्रति (प्रतिज्ञायां वचनदाने च) प्रतिज्ञा परि (दाने ऋणदाने पारितोषे च) देना, करना, वचन देना ऋण देना, पुरस्कार देना प्रति- सम् (प्रतिज्ञायां वचनदाने च) प्र (दाने) देना प्रतिज्ञा करना, वचन देना वि+आ (उद्घाटने) खोलना प्रति+अभि (सकलितज्ञाने उपलक्षिते च) सम् (सन्मतो) स्वीकृति देना पहचान करना अनु (दापने) दिलाना

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