Book Title: Vakya Rachna Bodh
Author(s): Mahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
Publisher: Jain Vishva Bharti

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Page 614
________________ परिशिष्ट ५ ५६७ उरी-स्वीकार करना उस्री-स्वीकार करना तिरस् (पराभवे) तिरस्कार करना २०. कृपूङ (कल्पते) समर्थ होना सं (संकल्पे) संकल्प करना २१. कज । किरति) फेंकना प्रति (हिंसायाम्) हिंसा करना उप (छेदने) छेदन करना अव (व्रतलोपे) ब्रह्मचर्य व्रत का भंग होना सं (मिश्रीकरणे) मिलाना वि (दाने) देना २२. क्रमु (क्राम्यति, कामति) चलना प्र (आरम्भे) आरम्भ करना परा (पराक्रमे) पराक्रम करना उप (आरंभे) आरंभ करना वि (विक्रमे) विपरीत जाना अति (अतिक्रमे) अतिक्रमण करना उत् (उत्क्रमणे) ऊपर जाना, चढना मा (आक्रमणे) आक्रमण करना सं (संक्रमे) संक्रमण करना, फैलाना २३. क्रीन्श् (क्रीणाति, क्रीणीते) हरीदना पति (विनिमये) विनिमय करना रि (नियमेन भृत्यादिना स्वीकरणे) वेतन निश्चय कर नौकर को काम पर रखना २४. क्रीड़ (क्रीडति) क्रीडा करना क्रिीडते-खेलना क्रिीडति-अव्यक्त शब्द करते हुए खेलना ५. क्रुशं (क्रोशति) बुलाना, रुलाना नु (दयायाम) दया करना (निन्दायाम्) निंदा करना उप (दोषदाने) दोष देना प्र (पूत्कारे) पुकारना २६. क्षिपन्ज (क्षिपति, क्षिपते)फेंकना प्र-प्रक्षेप करना सं-संक्षेप करना अव-नीचे फेंकना नि-स्थापित करना, रखना वि-व्याकुल होना आ—आक्षेप करना प्रति-खण्डन करना प्रति+आ–वापस आक्षेप करना परि–चारों तरफ से वीटना उत्—ऊपर फेंकना २७. ख्यांक (ख्याति) प्रसिद्ध होना प्र (प्रसिद्धौ) प्रख्यात करना सं (संख्याकरणे) गिनना, संख्या करना वि (प्रसिद्धौ) विख्यात करना आ (आख्यायाम्) कहना वि+आ (विवरणे) व्याख्यान करना उप+आ (उपाख्याने) उपाख्यान करना अभि+आ (मिथ्यारोपे, निह्नवे च) मिथ्या आरोप लगाना, चुगली करना प्रति+आ (अस्वीकारे) प्रत्याख्यान करना। २८. गणण् (गणयति) गिनना अव (अवज्ञायाम्) अवज्ञा करना अधि (व्याख्यानस्तुतिगणनेषु) व्याख्यान देना, स्तुति करना, गणना करना २६. गम्ल (गच्छति) जाना अप (निःसरणे) भाग जाना सं (संगतौ) संगत करना उप (ज्ञाने) जानना

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