Book Title: Vakya Rachna Bodh
Author(s): Mahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
Publisher: Jain Vishva Bharti

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Page 600
________________ परिशिष्ट ४ क्त्वा अनीय अन ट् तुम् लङ्घनीयम् लङ्घनम् लङ्घितुम् लङ्घित्वा लपनीयम् लपनम् पितुम् लपित्वा लम्बनीयम् लम्बनम् लम्बितुम् लम्बित्वा लभनीयम् लभनम् लब्धुम् लब्ध्वा लषणीयम् लषणम् लषितुम् लसनीयम् लसनम् सितुम् लसित्वा लज्जनीयम् लज्जनम् लज्जितुम् लज्जित्वा लेखनीयम् लेखनम् लेखितुम् लिखित्वा आलिख्य लषित्वा लेखित्वा लेपनीयम् लेपनम् लेप्तुम् लेहनीयम् लेहनम् लेढुम् लयनीयम् लातुम् लिप्त्वा लीढ्वा लीत्वा लोपनीयम् लोपनम् लोप्तुम् लोभनीयम् लोभनम् यप् विलङ्घ्य विलप्य आलम्ब्य उपलभ्य अभिलष्य विलस्य O संलिप्य संलिय संलीय, संलाय लयन म् लानीयम् लानम् तुम् लुठनीयम् लुठनम् लुठितुम् लुठित्वा लोपनीयम् लोपनम् लोपितुम् लोपित्वा लुप्त्वा लुप्त्वा संलुप्य लोब्धुम् लुब्ध्वा प्रलुभ्य लोभितुम् लो (लु ) भित्वा लोभनीयम् लोभनम् लोब्धुम् लोभित्वा प्रलुभ्य लोभितुम् लुभित्वा लवनीयम् लवनम् लवितुम् लवित्वा लोकनीयम् लोकनम् लोकितुम् लोकित्वा लोचनीयम् लोचनम् लोचितुम् लोचित्वा वचनीयम् वचनम् वक्तुम् उक्त्वा वाचनीयम् वाचनम् वञ्चनीयम् वञ्चनम् प्रोच्य वाचयितुम् वाचयित्वा प्रवाच्य वञ्चयितुम् वञ्चयित्वा प्रवञ्चय विलुठ्य संलुप्य संय विलोक्य आलोच्य अनूद्य वन्दित्वा अभिवन्द्य वदनीयम् वदनम् वदितुम् उदित्वा वन्दनीयम् वन्दनम् वन्दितुम् वपनीयम् वपनम् वप्तुम् उप्त्वा वर्णनीयम् वर्णनम् वशनीयम् वशनम् वशितुम् उशित्वा न्युश्य निरुप्य वर्णयितुम् वर्णयित्वा संवर्ण्य ति / ङ / अ लङ्घिः लप्ति: लम्बा लब्धि: लष्टि: लस्ति: लज्जा लिप्ति: लीढि: लीति: o लुप्ति: लुप्ति: लुब्धि: लुब्धिः लूनि: लोका लोचा उक्तिः वाचना वञ्चा उत्तिः ५८३ वन्दना उप्तिः वर्णना उष्टिः

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