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जशविलास संग लाल ॥ रंग ॥७॥ यु बिलास हरी नारीके ॥ रंग ॥ देखी धरे प्रनु मोन लाल ॥ रंग ॥ स्त्री शिशु सठ हठ न तजे ॥ रंग॥ करे वचन श्रम कों न लाल ॥ रंग ॥७॥ जनके जाने कदा जयो॥ रंग॥ मनको मान्यो प्रमान लाल ॥ रंग॥ चतुर. न चूके नेमजी ॥रंग०॥ पाए सुजस कल्यान लाल ॥रंग ॥ ए॥ इति ॥
॥पद एकतालीशमुं॥ ॥ जयजय जयजय पास जिणंद ॥ टेक ॥ अंतरीक प्रनु त्रिभुवन तारन, नविक कमल उहास दिणंद ॥ जय० ॥१॥ तेरे चरन शरन में कीने, तुं बिनु कुन तोरे जवफंद ॥ परम पुरुष परमारथ दरशी, तुं दिये नविककुं परमानंद ॥ जय० ॥२॥ तुं नायक तुं शिव सुख दायक, तुं हित चिंतक तुं सुखकंद ॥ तुं जन रंजन तुं नव नंजन, तुं केवल कमला गोविंद ॥ जय० ॥३॥ कोडि देव मिलिके कर न शके, श्क अंगुठ रूप प्रतिबंद ॥ऐसो अद जुत रूप तिहारो, वरषत मानुं अमृतको बुंद॥जय ॥४॥ मेरे मनमधुकरके मोहन, तुम हो विमान
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