Book Title: Vairagyopadeshak Vividh Pad Sangraha
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 138
________________ १३४ संयम तरंग ॥अथ ॥ ॥श्रीसंयम तरंगः प्रारभ्यते ॥ ॥पद पदेलुं ॥ ॥ राग नेरव ॥ योगनंद श्रादरकर संतो, अरुण पुति लय लावो ॥ यो॥ टेक ॥ अंतर षटचक्र सोधन करकें, वंकनाल कर नावो॥ यो० ॥१॥ चंड सूरज मारज जुग तजकर, सुषमन परवाह जानो ॥ कुंनक रेचक पूरक नावें, प्रत्याहार प्रमाणो ॥ यो॥ ॥२॥धारण ध्यान समाधि सपतम, श्वास रोधन करतानो ॥ अनुपम अनहद धनी अनुयोगें, सौहं सोहं गानो॥यो०॥३॥सोहं सोहं रटना रटता,नवनिधि संयम जायो ॥ ज्ञानानंद परमातम रोचि, देखत हरख लहायो ॥ यो० ॥४॥इति ॥ ॥ पद बीजं ॥ ॥राग नेरव ॥ जग जन निंदडी तजकर संतो, योग निंद संजारो ॥ ज० ॥ टेक ॥ नाना लबधि निधाननुं थानक, सकल संपद थाधारो ॥ ज० ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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