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विनय विलास
न कहे वे साहिब मेरा, फिर न करू फेरा ॥ कहा० ॥ ५ ॥ इति ॥ ॥ पद प्रोगणीशसुं ॥
॥ राग काफी ॥ किसके चेले किसके दूत, श्रातमराम किला अवधूत ॥ जिउ जानले ॥ श्रहो मेरे ज्ञानी का घर सुत ॥ जिउ जानले, दिल मानले ॥ १ ॥ थप सवारथ मिलिया अनेक, आए इकेला जावेगा एक ॥ जि० ॥ दि० ॥ २ ॥ मढी गिरंदकी झूठे गुमान, आजके काल गिरेंगी निदान ॥ जि० ॥ दि० ॥ ३ ॥ तीसना पावडली बर जोर, बाबु काहेकुं साचो गोर ॥ जि० ॥ दि० ॥ ४ ॥ श्रागि गिठी नावेगी साथ, नाथ रमोगे खाली हाथ || जि० ॥ दि० ॥ ५ ॥ श्राशा जोली पत्तर लोज, विषय निक्षा जरी नायो योज | जि० ॥ दि० ॥ ६ ॥ करमकी कंथा डारो दूर, विनय विराजो सुख जरपूर || जि० ॥ दि० ॥ ७ ॥ इति ॥
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॥ पद वीशमुं ॥
॥ राग श्राशावरी ॥ घोरा जूठा दे रे तुं मत भूले असवारा ॥ टेक ॥ तोहि मुघा ए लगतुहे प्यारा,
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