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ज्ञान विलास
॥ पद चौदमुं॥ ॥ राग श्राशावरी ॥ श्रबधू वह जोगी हम.माने, जो हमकुं सबगत जाने ॥ १०॥ब्रह्मा विष्णु महे. सर हमही, हमकुं इसर माने ॥१०॥ १ ॥ चक्री बल वासुदेव जे हमहीं, सबजग हमकुं जाने ॥ श्र॥ हमसे न्यारा नहिं को जगमें, जग परमित हम माने ॥ १० ॥२॥ अजरामर अकलंकता हमहीं, शिववासी जेमाने॥॥निधि चारित झानानंद जोगी, चिद्घन नामजे माने॥०॥३॥ति॥
॥पद पंदरमुं॥ ॥ राग आशावरी ॥ साधो नाइ नहिं मिलियो हम मीता ॥ सा ॥ टेक ॥ मीता खातर घर घर नटकी, पायो नहिं परतीता ॥ सा ॥ जहां जाऊं ताहां अपनी अपनी, मत पख नांखे रीता ॥ सा॥ ॥१॥ संसय करूं तो कहे बिनाला, वहज रूसे नीता ॥सा॥श्त उतसे अधविचमें जूली, कैसे कर दिन वीता ॥ सा ॥२॥आगम देखत जग नवि दे, जिम जल जख पग रीता ॥सा॥ तिनश्री हव श्रम निधि चारित युत, ग ज्ञानानंद मीता ॥सा ॥३॥
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