Book Title: Udayswamitvam
Author(s): Gunratnasuri, Rashmiratnasuri
Publisher: Jingun Aradhak Trust
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ગુજરાતી વિવેચનાદિ સમન્વિત
કર્મપ્રકૃતિઓનો સંગ્રહविउवदुग णिरयसुरणर-तिरितिगोरालतणु-उवंगाई । संघयणछ-मज्झागिइ-चउक्क-विगलेंदितिगाइं ॥२॥ एगिदिथावरसुहुमं, अपज्जसाहारणायवुज्जोअं। थीणतिग-थीपुमपढम-आगिई-सुहगचउ-सुखगई ॥३॥ उच्चजिणाहारदुगं च, मीससम्मनपुनीयहुंड्राइं। कुखगइदुस्सरदुहगा-णाइज्जदुग-बिइयकसाया ॥ ४ ॥ परघा-उसासा इय, पयडी मोत्तुमुदयाउ संगहिया । चउदसगुणेसु णेयो, कम्मत्थवाओ अ ओहुदओ ॥५॥ वैक्रियद्विकं नरकसुरनर-तिर्यत्रिकौदारिकतनूपाङ्गानि । संहननषट्कमध्याकृति-चतुष्कविकलेन्द्रियत्रिकानि ॥२॥ एकेन्द्रियस्थावरसूक्ष्माणि, अपर्याप्तसाधारणाऽऽतपोद्योतानि । स्त्यानद्धित्रिकस्त्रीपुरुष-प्रथमाकृतिसुभगचतुष्कशुभखगतयः ॥३॥ उच्चैर्जिनाऽऽहारकद्विकञ्च, मिश्रसम्यक्त्वनपुंसकनीचहुंडकानि । कुखगतिदुस्वरदुर्भगानादेय-द्विकद्वितीयकषायाः ॥ ४॥ पराघातोच्छ्वासौ इमाः, प्रकृतयो मोक्तुमुदयात् सगृहीताः । चतुर्दशगुणस्थानकेषु ज्ञेयः, कर्मस्तवाच्चौघोदयः ॥५॥
गाथार्थ : वैयिद्वि, न२४त्रि, सुरत्रि, मनुष्यत्रि, तिर्थयात्रि, मौहार:शरीर, मौहरिsitin, ६ संघया, मध्यम ४ संस्थान, विसन्द्रिय-त्रि.... (२)
मेन्द्रिय, स्था१२, सूक्ष्म, अपर्याप्त, साधा२९, मात५, Gधोत, थीद्वित्रि, स्त्री-पुरुषवेद, समयतु२खसंस्थान, सुभायतुष्ट, शुत्मवियोगति... (3)
ઉચ્ચગોત્ર, જિનનામ, આહારકદ્ધિક, મિશ્રમોહનીય, સમ્યક્વમોહનીય, नपुंस४६, नीयगोत्र, ९४संस्थान, कुमाति, दुःस्वर, हुर्भ, मनायद्विर, अप्रत्याध्यानयतुष्ठ... (४)
પરાઘાત અને ઉવાસ... આ પ્રકૃતિઓ ઉદયમાંથી મૂકવા ભેગી કરેલી छ. १४ गुस्थानोमा स्तवनी भ मोघोहय एवो... (4)
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