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११. राग द्वेष भाव का विसर्जन ही त्याग है
११२-११७ अर्थ और प्रतिपत्ति (११२), त्याग और दान (११३), त्याग और
इन्द्रियवृत्ति (११५), मूर्छा और त्याग (११६)। १२. निर्ममत्व की ओर बढ़ना ही आकिञ्चन्य है ११८-१२२
अर्थ और प्रतिपत्ति (११८), साधना का मूल उद्देश्य (११९), अहम और मन का त्याग (१२०)। आत्मा में रमण करना ही ब्रह्मचर्य है
१२३-१२९ अर्थ और प्रतिपत्ति (१२३), ब्रह्मचर्य और आधुनिक मनोविज्ञान (१२४), स्वानुभव की चेतना और ध्यान (१२५), ब्रह्मचर्य : आत्मचिन्तन की चरित्र परिणति (१२६), ब्रह्मचर्य : अध्यात्म
जागरण का सूत्र। सहायक ग्रन्थ-सूची
१३० -१३४ मुख्य शब्द-सूची
१३५-१३६
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