Book Title: Tattvartha Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनुक्रमाङ्क विषय १३८ नारकों के आयु परीमाण एवं स्थितिका निरूपण सू० १७-१८ ६०९-६१६ १३९ जम्बूद्वीपादि द्वीप एवं लवणादि समुद्रो का निरूपण सू० १९ ६१६ ६२० १४० द्वीप समुद्रों के आयामविष्कंभ का निरूपण सू० २० । ६२०-६२२ १४१ जम्बूद्वीप की विशिष्टता का कथन सू० २१ ।
६२२-६२६ जम्बूद्वोपान्तर्गत सात क्षेत्र का निरूपण सू० २२
६२७-६३२ १४३ छह वर्षधर पर्वतों का निरूपण सू० २३
६३२-६३९ १४४ वर्षधर पर्वतों के वर्णादि का निरूपण सू० २४ ६३९-६४५ १४५ पद्महृदादि से निर्गत गंगादि नदियों का निरूपण सू० २५ ६४५-६४९
भारत वर्ष के विस्तार का निरूपण सू० २६ ६४९-६५०
चुल्लहिमवंत आदि वर्ष एवं वर्षधरों के बाहल्यका निरूपण सू० २७ ६५०-६५५ १४८ नीलादि तीन पर्वत एवं रम्यकादि तीन क्षेत्रोंके विस्तारका निरूपण सू० २८०
६५५-६५९ १४९ भरतादि क्षेत्रों में निवास करने वाले मनुष्यों के उपभोग आयु
आदि का निरूपण सू० २९ । हैमवतादि क्षेत्र के मनुष्यों के आयुष्य आदि में न्यूनाधिकत्वका निरूपण सू० ३०
६६५-६६८ १५१ धातकी खंड एवं पुष्क रार्द्ध क्षेत्रमें दो दो वर्ष एवं क्षेत्रका कथन सू ३१ ६६९-६७२
पुष्कराधमें दो दो भरतादि के कथन के कारण निरूपण सू० ३२ ६७२-६७५ कर्मभूमि के स्वरूप का कथन सू० ३३
६७५-६७७ कर्मभूमि के मनुष्यके आयु आदिके प्रमाण का निरूपण सू० ३४ ६७७-६८२
१४६ १४७
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समाप्त
શ્રી તત્વાર્થ સૂત્ર: ૧