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________________ १४२ अनुक्रमाङ्क विषय १३८ नारकों के आयु परीमाण एवं स्थितिका निरूपण सू० १७-१८ ६०९-६१६ १३९ जम्बूद्वीपादि द्वीप एवं लवणादि समुद्रो का निरूपण सू० १९ ६१६ ६२० १४० द्वीप समुद्रों के आयामविष्कंभ का निरूपण सू० २० । ६२०-६२२ १४१ जम्बूद्वीप की विशिष्टता का कथन सू० २१ । ६२२-६२६ जम्बूद्वोपान्तर्गत सात क्षेत्र का निरूपण सू० २२ ६२७-६३२ १४३ छह वर्षधर पर्वतों का निरूपण सू० २३ ६३२-६३९ १४४ वर्षधर पर्वतों के वर्णादि का निरूपण सू० २४ ६३९-६४५ १४५ पद्महृदादि से निर्गत गंगादि नदियों का निरूपण सू० २५ ६४५-६४९ भारत वर्ष के विस्तार का निरूपण सू० २६ ६४९-६५० चुल्लहिमवंत आदि वर्ष एवं वर्षधरों के बाहल्यका निरूपण सू० २७ ६५०-६५५ १४८ नीलादि तीन पर्वत एवं रम्यकादि तीन क्षेत्रोंके विस्तारका निरूपण सू० २८० ६५५-६५९ १४९ भरतादि क्षेत्रों में निवास करने वाले मनुष्यों के उपभोग आयु आदि का निरूपण सू० २९ । हैमवतादि क्षेत्र के मनुष्यों के आयुष्य आदि में न्यूनाधिकत्वका निरूपण सू० ३० ६६५-६६८ १५१ धातकी खंड एवं पुष्क रार्द्ध क्षेत्रमें दो दो वर्ष एवं क्षेत्रका कथन सू ३१ ६६९-६७२ पुष्कराधमें दो दो भरतादि के कथन के कारण निरूपण सू० ३२ ६७२-६७५ कर्मभूमि के स्वरूप का कथन सू० ३३ ६७५-६७७ कर्मभूमि के मनुष्यके आयु आदिके प्रमाण का निरूपण सू० ३४ ६७७-६८२ १४६ १४७ १५५ समाप्त શ્રી તત્વાર્થ સૂત્ર: ૧
SR No.006385
Book TitleTattvartha Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages1032
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size60 MB
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