Book Title: Tapagaccha Shraman Vansh Vruksh
Author(s): Jayantilal Chottalal Shah
Publisher: Jayantilal Chottalal Shah

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Page 9
________________ परिणामे पहेलां प्रकाशित थयेल प्रतनी ज बीजी आवृत्ति आ पुस्तक रूपे तैयार करवानो निश्चय थयो. पूज्य श्री दर्शनविजयजी आदि त्रणे मुनिराजोए पोताथी बनती दरेक सहायता आपवानी उदारता करी, एना फळ रुपे आजे हुं आ पुस्तक आपनी समक्ष रजु करी शकुं लुं. जैन श्रमण संस्कृतिना इतिहासना एक क्षेत्रने स्पर्शतुं आ पुस्तक एक प्रकारना आधार ग्रंथ (Refurence book ) रुप अथवा तो डीरेक्टरी जेवुं छे. एटले आ संग्रहमां सीधे सीधी ते जेने हुं मारा पोताना सर्जन तरीके ओळखावी शकुं एवं कशुं ज नथी. जुदा जुदा सयुदायना वडिल मुनिराजो अने भिन्न भिन्न विद्वानो पासेथी आ ग्रंथने यथाशक्य समृद्ध बनाववानी सामग्री मेळववानो प्रयास मात्र ज म्हारुं आ ग्रंथ प्रत्येनुं ऋण छे. एटले ए पूज्य मुनिराजो, ए विद्वानो अने अन्य सहायकोनो आभार मानीने तेओनुं ऋण अदा करवामां हुं एक प्रकारनो आत्म-संतोष अनुभवं कुं. आ पुस्तक संबंधी आखीय योजना तैयार करवामां, ते माटे समये समये योग्य सूचना करीने मार्गदर्शन करवामां तथा बीजी दरेक प्रकारनी आवश्यकीय सहायता करवामां परम पूज्य मुनि महाराजश्री दर्शनविजयजी तथा ज्ञानविजयजी महाराजश्रीए आपेल सहकार मांटे हुं ओश्रीनो अत्यन्त आभारी छु. मूलभूत रीते तपगच्छना वर्तमान दरेक साबुओना समुदायवार नकशाओ आपवाथी आ ग्रन्थ तैयार करवानो मुख्य उद्देश सफळ थतो होवा छतां आ ग्रन्थ विशेष उपयोगी श्रई पडे ए आशयधी (१) वंशवृक्ष विभाग, (२) चित्र परिचय विभाग अने (३) विवेचन विभाग - एम ऋण विभाग पाडीने तेमां जैन श्रमण संस्कृतिना इतिहास उपर प्रकाश पांडे एवा लेखो आप्या छे वंशवृक्ष विभागमा दरेक समुदायना साधुओनी यादी आपवामां आवेल छे. आ यादी तैयार करवा माटे जे जे मुनिराजोए पोताना समुदायनी यादी मोकलवानी कृपा करी छे ते सौनो हुं आभारी छु. चित्र परिचय विभागमां आ पुस्तकमां आपवामां आवेल आचार्यो अने मुनिराजोनां २० चित्रोनो ड्रंक परिचय आगेल छे. आ माटे माराश्री शक्य लबी चित्र मुख्य मुख्य मुनिराजोना चित्रो मेववानो में प्रयत्न कर्यो छे. मारा ए प्रयत्नमां सहकार आपनाराओने पण हुं न भूली शकुं. आ पुस्तकमा आपेल पूज्य आचार्य महाराजो तथा मुनिराजोनां चित्रो क्रमसर नथी गोठवायां, छापवानी सगवडता माटे अनिवार्य हतुं. ए केवल विवेचन विभाग -- आ पुस्तकमां इतिहासनी दृष्टिए विशेष उपयोगी वस्तु आ विभागमां आपेल छे. आमां चार लेखोनो समावेश कर्यो छे; (१) “ तपगच्छना आचार्यो तेमनुं साहित्य, " . लेखक : श्रीयुत भाई धीरजलाल धनजीभाई, (२) “जैनोना इतिहास पर एक दृष्टिपात " स्व. आ. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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