Book Title: Sramana 1990 07
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 52
________________ ( ५२ ) उपकेशपुर आज ओसिया के नाम से जाना जाता है। प्रतिहार और चाहमान युग में यह एक प्रसिद्ध नगरी थी। इसे उवएस' तथा ऊकेश आदि नामों से भी जाना जाता रहा। यह नगरी कब अस्तित्व में आयी, यह बात विवादास्पद है। प्रतिहारनरेश वत्सराज जो ई० सन् ८वीं शती के उत्तरार्ध में यहाँ शासन कर रहा था, के समय यहाँ महावीर जिनालय का निर्माण कराया गया, यह बात उक्त जिनालय से प्राप्त वि०सं० १०१३ के एक अभिलेख से ज्ञात होती है। इस जिनालय के निर्माण की तिथि ज्ञात नहीं, केवल यही ज्ञात होता है कि वत्सराज ( लगभग ई० सन् ७७५ ८०० ) के समय इसका निर्माण कराया गया । वत्सराज के पश्चात् इस क्षेत्र पर आभीरों ने अधिकार कर लिया, परन्तु ई० सन् ८१६ में प्रतिहारों के सामन्त कक्कुक ने आभीरों से यह क्षेत्र छीन लिया और बाद में उसने प्रतिहारों की अधीनता से मुक्त होकर अपनी स्वतंत्र चाहमान सत्ता स्थापित कर ली। वि० सं० १२३६/ई० सन् ११७९ में यह क्षेत्र कुमारिम्ह, जो मुनिजयन्तविजय, वही, लेखाङ्क, १, श्लोक ४२ १. उवएस-किराडउए वि जयपुराईसु मरुमि वंदामि । सच्चउर-गुडुरायसु पच्छिमदेसेमि वंदामि । -सकलतीर्थस्तोत्र ... सिद्धसेनसूरि, श्लोक २६ दलाल, सी० डी०-पत्तनस्य प्राच्यजैन भाण्डागारीय ग्रन्थसूची, पृ० १५६ २. समेतमेतत्प्रथितं पृथिव्या मूकेशनामास्ति पुरं गरीयः ॥९॥ वीरजिनालय, ओसिया की प्रशस्ति नाहर, पूरनचन्द-जैनलेखसंग्रह, भाग १, लेखाङ्क ७८८ ३. ... . . . . . संवत्सर दशशत्यामधिकायां वत्सरं स्त्रयो दशभिः फाल्गुन शुक्ल तृतीया भाद्रपदाजा . . . . . . . . . . . . . . . . . . . 'सं० १०१३. . . . . . . . . . . . . . . . . . 'ययाभि ॥ नाहर, वही, लेखाङ्क ७८८ ४. जैन, कैलाशचन्द्र-एन्शेन्ट सिटीज एण्ड टाउन्स ऑफ राजस्थान, पृ० १८० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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