Book Title: Sramana 1990 07
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 78
________________ ( ७८ ) 'सत्यपुरीयावतार' नामक मंदिर का निर्माण कराया। इसप्रकार स्पष्ट होता है कि १२-१४ वीं शती में सत्यपुर एक अत्यन्त प्रसिद्ध तीर्थ के के रूप में प्रतिष्ठित रहा और इसी प्रसिद्धि के कारण ही विधर्मी लोगों ने इसका नाश किया। सत्यपुर आज सांचोर के नाम से जाना जाता है। यह स्थान वर्तमान राजस्थान प्रान्त के जोधपुर शहर से २१२ कि० मी० दक्षिण पश्चिम में लूणी नदी के तट पर स्थित है। यहाँ आज ५ जिनालय विद्यमान हैं परन्तु वे आधुनिक काल के हैं । यहाँ का प्राचीन जिनालय सर्वथा नष्ट हो चुका है। १. सुकृतकीर्तिकल्लोलिन्यादिवस्तुपालप्रशस्तिसंग्रह, संपा० मुनि जिन जियमुनि ( सिंघी जैन ग्रन्थमाला, ग्रन्थांक ५, बम्बई वि०सं० २०१७ ) पृ० ४४-४८ । २. जैन, कैलाशचन्द्र-पूर्वोक्त, पृ० १९८ । ३. त्रिपुटी महाराज-जैनतीर्थोनो इतिहास, पृ० ३१६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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