Book Title: Sramana 1990 07
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 59
________________ ( ५९ ) ५ -- सं० १४९३ चैत्र वदि २ चाहडभार्या कुंती पुत्र कारापिता ॥ प्रतिष्ठास्थान- महावीर जिनालय-तृतीय दरवाजे के ऊपर उत्कीर्ण लेख मुनि जयन्तविजय - पूर्वोक्त. लेखाङ्क ४५७ ६ - संवत् १४९३ वर्षे वैशाख सुदि १३ प्रतिष्ठास्थान- महावीरजिनालय - चतुर्थं दरवाजे के ऊपर उत्कीर्ण लेख मुनि जयन्तविजय - वही, लेखाङ्क ४५८ ७ - सं० १५२१ वर्षे भाद्रपद सुदि पडवेदिने । नांदियापुरवास्तव्य प्राग्वाटज्ञातीय व्य० दूल्हा भार्या दूली पुत्र व्य० जूठाकेन भार्या जसभादे भ्रातृ व्य० मउवा झाला वरजांगषेतादिकुटुम्बयुतेन स्वश्रेयसे । श्रीमहावीरप्रासादे देवकुलिका कारिता ॥ प्रतिष्ठास्थान- महावीर जिनालय पहली देहरी के दरवाजे के ऊपर उत्कीर्ण लेख मुनि जयन्तविजय- -वही, लेखाङ्क ४६० ग्रामवास्तव्य ८ – सं० १५२९ वर्षे मा० व० ३ गुरौ दिने । प्राग्वाटज्ञातीय सीदरथाकुटुम्बयुतेन श्रीमहावीरप्रासादे देवकुलिका कारिता स्वश्रेयोर्थं श्रीतपागच्छनायक श्री श्रीरत्नशेखरसूरि श्रीश्रीश्री सोमजयसूरि ( भिः ) । प्रतिष्ठास्थान - महावीर जिनालय - द्वितीय देहरी के दरवाजे पर उत्कीर्ण लेख मुनि जयन्तविजय -- पूर्वोक्त, लेखाङ्क ४६३ ९ -- सितिणिसी (शी ) लवंता ( त्या ) च सद ( द ) भावभक्तिसंजुता ( क्तियुक्तया ) । जिनगृहे से (शै) लस्थंभा ( स्तंभौ ) द्वो मंडपस्तभि ( स्तभो ) था ( स्था ) पिता: ( तो ) ॥ प्रतिष्ठास्थान- महावीर जिनालय -सभामंडप के दायीं ओर द्वितीय स्तम्भ पर उत्कीर्ण लेख मुनि जयन्त विजय - वही, लेखाङ्क ४६७ For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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